सनातन धर्म में आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की उपासना करने से साधक की सभी मुरादें पूरी होती हैं। आइए इस लेख में जानते हैं शरद पूर्णिमा की डेट शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
- आश्विन माह में शरद पूर्णिमा मनाई जाती है।
- इस पर्व का विशेष महत्व है।
- पूर्णिमा के दिन विष्णु जी की पूजा होती है।
प्रत्येक वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन शरद पूर्णिमा का पर्व बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर जातक विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्ति के लिए व्रत भी रखते हैं और जगत के पालनहार भगवन विष्णु के संग मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से जातक के सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। आइए जानते है शरद पूर्णिमा से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में।
पंचांग के अनुसार,के पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 16 अक्टूबर को रात्रि 08 बजकर 40 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 17 अक्टूबर को शाम को 04 बजकर 55 मिनट पर होगा। ऐसे में शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन चन्द्रोदय शाम को 05 बजकर 05 मिनट पर होगा।