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Tuesday, June 24, 2025

शारदीय नवरात्रि 2024ः पांडवों और राणा परिवार की कुलदेवी माता जयंती के नए बाल स्वरूप के दर्शन के लिए उमडे श्रद्धालु, चोला छोड़ने के बाद रात में खुले पट, सुबह हुई महाआरती

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ओंकारेश्वर। मध्यप्रदेश के बड़वाह के करीब 3 किलोमीटर दूर स्थित प्राचीन जयंती माता मंदिर जो पांडवों की कुलदेवी और राणा परिवार की कुलदेवी हैं के नए बाल स्वरूप का विधिपूर्वक पूजन किया गया। राणा राजेंद्र सिंह सहित परिवार के सदस्यों की उपस्थिति में माता का चोला परिवर्तन किया गया। बीती रात 10 बजे महाआरती के साथ मंदिर के पट खोले गए।

आज यानी मंगलवार की सुबह से ही माता के नए स्वरूप के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। सुबह 6 बजे महाआरती में हजारों श्रद्धालु शामिल हुए। सोमवार को सुबह 4 बजे माता जयंती ने अपना नवीन चोला छोड़कर सैकड़ों साल पुराने स्वरूप में प्रकट हुई थीं। इसके बाद मंदिर का गर्भगृह दिनभर के लिए पर्दे से बंद कर दिया गया था।

जब माता के नवीन चोला छोड़ने की खबर फैली तो भक्तों की भीड़ मंदिर में उमड़ पड़ी। इसके बाद माता के मूल स्वरूप का विधिपूर्वक पूजा की गई। जिसमें पंडित चंद्रप्रकाश शास्त्री के आचार्यत्व में विद्वान ब्राह्मणों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ माता का चोला वरण किया।

आचार्य पंडित श्री चंद्र प्रकाश शास्त्री ने बताया कि, सोमवार सुबह मां माता जयंती ने अपना चोला छोड़ा था। माता का सैकड़ों साल पुराना स्वरूप भगवती चार भुजा के रूप में उपस्थित है। माता के एक हाथ में खड़ग, एक हाथ में खप्पर, और एक हाथ में ढाल है, और वह पद्मासन में अष्ठ कमल पुष्प पर विराजमान हैं।

जयंती माता मंदिर पुजारी पंडित रामस्वरूप शर्मा ने बताया क, पंडित रामस्वरूप शर्मा, महेंद्र शर्मा, दीपक शर्मा और अन्य विद्वानों ने बहुत सुंदर माता का आकार दिया है। गाय के देशी घी से माता भगवती का लेप किया गया। इसके बाद सिंदूर से भगवती का चोला चढ़ाया गया। नवीन वस्त्र धारण कर पुष्प माला इत्यादि पहनाई गईं और महाआरती के बाद माता के दर्शनों के लिए मंदिर के पट खोले गए।

इसी के साथ पंडित शास्त्री ने बताया कि, एक तरह से यह शहरवासियों के लिए शुभ संकेत है। लेकिन दूसरे भाव में जाए तो नगर में कोई दूसरा संकट का संकेत था जो मां ने अपने ऊपर लिया हैं। इस अवसर पर राणा राजेंद्र सिंह, चंद्रपाल सिंह तोमर, विजेंद्र सिंह, वीरेंद्र सिंह, नरेश राणा गुड्डू दरबार, लोकेंद्र सिंह, महिपाल सिंह और अन्य भक्त गण भारी संख्या में उपस्थित रहे।

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