लहराते झंडे और भाषा की लय की तरह हर देश व उसकी संस्कृति की पहचान है उसका खानपान। ग्लोबल होती दुनिया में आप किसी भी देश का खाना घर बैठे मंगा सकते हैं पर वास्तविक स्वाद की मांग भी बढ़ी है। कई बार होता यह है कि नाम भले ही हो, पर आथेंटिक यानी वास्तविक स्वाद से भरा खाना मिल जाए यह आवश्यक नहीं। जैसे, जापान का फूड पसंद है तो ज्यादातर उस खाने में स्थानीयता का पुट रहता है या वह फ्यूजन स्वाद के साथ मिलता है।
जापानी भोजन सेहत के हिसाब से बहुत अच्छा माना गया है। इसका कारण है कि यहां अधिकतर लोग वनस्पति आधारित भोजन का प्रयोग करते हैं। मसाले भी आर्गेनिक होते हैं। तेज मिर्च-तीखे मसालों का प्रयोग तो बहुत कम होता है। आइए जापानी खाने की विशेषताओं के बारे में एशियाई खानपान के विशेषज्ञ जानते हैं।
जापान के भोजन में सीफूड की प्रधानता है। हालांकि जापानी मीट व डेयरी उत्पाद भी खाते हैं पर मछली की खपत खूब होती है यहां। समुद्र तट पर सुस्ताते लोग सूशी में भी फिश का सेवन करते मिल जाएंगे। बता दें कि सीफूड ओमेगा-3 फैटी एसिड का बेहतर स्रोत माने जाते हैं। यह एक स्वस्थ वसा है जो दिल को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है। दिल स्वस्थ हो, मधुमेह, उच्च रक्तचाप की समस्या न हो तो औसत उम्र भी अधिक होगी, जापान के लोगों पर यह बात सटीक बैठती है।
अधिक तले-भुने खानपान से दूरी बरतना जरूरी है। जापान के पारपंरिक खानपान में यह विश्वास पुराना है। दरअसल, यहां की डायट में फर्मेंटेड फूड की अधिकता रहती है। उदाहरणस्वरूप साके, मीसो, नुकाजुके जैसे फर्मेटेंड फूड लोग खूब पसंद करते हैं। फर्मेंटेड फूड में प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो गट हेल्थ यानी पाचन से जुड़ी सेहत को दुरुस्त रखने के लिए जरूरी होता है। बेहतर पाचन क्रिया होगी तो हम जिन पोषक तत्वों का सेवन करते हैं, उनको सही तरीके से शरीर अवशोषित कर सकता है।