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Sunday, January 19, 2025

कंसीव करने में नहीं होगी कोई भी दिक्कत, महिलाएं आज से ही शुरू कर दें 5 योगासन

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वायु प्रदूषण, अनहेल्दी लाइफस्टाइल, तनाव और पीसीओएस जैसी मेडिकल कंडीशन्स महिलाओं की फर्टिलिटी को प्रभावित करते हैं। ऐसे में फर्टिलिटी बूस्ट करने के लिए योग को अपने डेली रूटीन में शामिल करना काफी फायदेमंद हो सकता है। योग करना आपकी स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक होता है, लेकिन महिलाओं के लिए इसका खास महत्त्व हो सकता है, क्योंकि इससे उनकी फर्टिलिटी बूस्ट होती है।

जो महिलाएं नियमित रूप से योग करती हैं, उनकी फर्टिलिटी अन्य महिलाओं की तुलना में ज्यादा अच्छी होती है और कंसीव की संभावना भी बढ़ जाती है। डॉ. चंचल शर्मा (आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर और स्त्री रोग विशेषज्ञ) बताती हैं कि कुछ योगासन महिलाओं के रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स को हेल्दी रखने और फर्टिलिटी बूस्ट करने में मदद कर सकते हैं। आइए जानें उन योगासनों के नाम।

डॉ. शर्मा योगासन और फर्टिलिटी के बीच के सम्बन्ध के बारे में बताते हुए कहा योग का फर्टिलिटी के साथ कोई सीधा सम्बन्ध नहीं है, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार आपकी प्रेगनेंसी को बेहतर बनाने में योगासन की भूमिका बहुत जरुरी है। इसलिए जो महिलाएं मां बनना चाहती हैं उन्हें योग जरूर करना चाहिए। आजकल लोगों की लाइफस्टाइल ऐसी हो गयी है, जिसमे डेस्क जॉब ज्यादा है और वह पूरे दिन बैठे रहते हैं जिससे उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। तनाव भी फर्टिलिटी पर असर डालता है इसलिए योगासन बहुत जरुरी हो जाता है।

जब कोई महिला स्ट्रेस में होती हैं तब उसके शरीर में कोर्टिसोल की मात्रा बढ़ जाती है। कोर्टिसोल का बढ़ा हुआ स्तर मिसकैरिज का कारण बन सकता है। इसलिए तनाव को कम करने के लिए योगासन करना चाहिए। एक रिपोर्ट के अनुसार जो महिलाएं कम स्ट्रेस लेती हैं उनके ओवुलेशन के दिनों में प्रेगनेंसी की संभावना अन्य महिलाओं की तुलना में ज्यादा होती है।

आजकल कई कारणों से इनफर्टिलिटी के मामले भी काफी बढ़ने लगे हैं। इसका एक बहुत बड़ा कारण तनाव है। तनाव के कारण आपको डिप्रेशन, एंग्जाइटी जैसी समस्या भी हो सकती है। नियमित योगाभ्यास करने से तनाव कम होता है और आप किसी भी काम पर फोकस कर पाते हैं। कुछ योगासन ऐसे भी है तो आपके रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स को मजबूती देते हैं, जिससे हेल्दी प्रेग्नेंसी में मदद मिलती है।

  • सुप्त बद्ध कोणासन- इससे आपके लोअर एब्डोमेन में ब्लड फ्लो को बढ़ाता है। पीठ के बल लेटकर घुटनों को मोड़ लें और उसे एक तरफ से दूसरी तरफ ले जाएं और इसी तरह इसे दोहराएं।
  • बद्ध कोणासन- यह आपके पेल्विक मांसपेशियों को मजबूती देता है। आप जमीन पर बैठकर दोनों पैरों को मोड़कर पेल्विक एरिया के पास ले जाएं और उन्हें तितली के पंखों की तरह मूव करवाएं। इसे बटरफ्लाई आसन भी कहते हैं।
  • बलासन- यह आपके पेट के अंदर ब्लड सर्कुलेशन और नर्वस सिस्टम को बेहतर बनाता है। घुटनों के बल जमीन पर बैठकर दोनों हाथों को आगे ले जाएं और चेहरे को जमीन से सटाने की कोशिश करें।
  • भुजंगासन- पेट के बल लेटकर हाथों को चेस्ट के साइड में लाएं फिर धीरे-धीरे हाथों के बल शरीर के ऊपरी हिस्से को ऊपर की तरफ उठाएं। ऊपर उठते समय गहरी सांस लें और नीचे झुकते समय सांस बाहर छोड़ें।
  • उत्कट कोणासन- दोनों पैरों को हिप्स के डायमीटर के हिसाब से खोलें फिर स्क्वैट्स की पोजीशन में थोड़ा-सा बैठ जाएं और दोनों हाथों को एक एक करके दोनों साइड ले जाएं। इससे तनाव, डिप्रेशन और एंग्जाइटी मैनेजमेंट में मदद मिलती है।
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