महाभारत काल में ऐसी कई घटनाएं हुईं, जो आज भी याद की जाती हैं। युद्ध इतना भीषण था कि इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। महाभारत काल की कई कथाएं, व्यक्ति को चकित भी करती हैं। इसी प्रकार द्रुपद के पुत्र और द्रौपदी के भाई शिखंडी की पूर्वजन्म की कथा भी काफी दिलचस्प है।
एक बार भीष्म ने अपने सौतेले भाई विचित्रवीर्य का विवाह करने के लिए स्वयंवर से अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका नाम की तीनों राजकुमारियों का अपहरण कर लिया, जो आपस में बहनों थीं। इनमें से अंबिका और अम्बालिका तो विचित्रवीर्य से विवाह के लिए तैयार हो गईं, लेकिन अंबा राजा शाल्व से प्रेम करती थी।
ऐसे में भीष्म ने उसे राजा शाल्व के पास भेज दिया, लेकिन राजा शाल्व ने अम्बा को स्वीकार करने से मना कर दिया। ऐसे में अंबा ने वापस आकर भीष्म से विवाह का निवेदन किया, लेकिन भीष्म की प्रतिज्ञा के कारण वह भी अम्बा से विवाह के लिए राजी नहीं हुए। इस कारण अम्बा को अपमानित होना पड़ा और उनसे भीष्म से बदला लेने की प्रतिज्ञा की।
बदला लेने की भावना से अंबा परशुराम के पास पहुंची और अपनी सारी व्यथा बताई। यह बात सुनकर परशुराम जी भीष्म से युद्ध करने पहुंच गए, लेकिन भीष्म ने उन्हें पराजित कर दिया। अंत में उनसे भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया और यह वरदान मांगा कि वह भीष्म की मृत्यु का कारण बने। अगले जन्म में अंबा ने द्रुपद के घर में एक ऐसे मनुष्य के रूप में जन्म लिया, जिसमें पुरुष और स्त्री दोनों तत्व विद्यमान थे।
युवावस्था में एक यक्ष ने अपना पुरुषत्व शिखंडी को दे दिया, जिससे वह पुरुष बन गई और उसने महाभारत के युद्ध में भाग लिया। भगवान श्रीकृष्ण ने शिखंडी को शस्त्रों के साथ भीष्म पितामह से युद्ध करने के लिए भेजा। भीष्म पितामह शिखंडी की असलियत जानते थे, इसलिए उन्होंने एक स्त्री समझकर उसपर वार नहीं किया और अपने शस्त्र रख दिए। इस दौरान मौका पाकर अर्जुन ने भीष्म पितामह को बाणों से छलनी कर दिया।