बाजार की चकाचौंध हमें अक्सर नई-नई चीजें खरीदने के लिए उकसाती रहती है। चाहे वो कपड़े हों, घरेलू सामान हों या फिर लाइफस्टाइल से जुड़ी अन्य चीजें। इस बात में कोई शक नहीं, कि इनमें से ज्यादातर चीजें तो ऐसी होती हैं जिनकी हमें असल में जरूरत भी नहीं होती है, लेकिन फिर भी इनके लुभावने विज्ञापन और दुकानों की शानदार सजावट हमें इन चीजों को खरीदने के लिए मजबूर कर देती है। ऐसे में, कई बार जेब पर फिजूल का बोझ भी पड़ता है और दिखावे के चलते जरूरत की चीजों के लिए पैसे भी नहीं बचते हैं। ऐसे में, आइए इस आर्टिकल में आपको बताते हैं कि मिनिमलिस्ट लाइफस्टाइल क्या होता है और कैसे इसे अपनाकर आप स्ट्रेस फ्री लाइफ का रास्ता आसान कर सकते हैं।
मिनिमलिस्ट लाइफस्टाइल का मतलब है एक सिंपल और बैलेंस लाइफ जीना जिसमें कम से कम चीजों और सुविधाओं का इस्तेमाल किया जाता है। बता दें, यह जीवन जीने का एक ऐसा तरीका है जहां हम सिर्फ उन्हीं चीजों को खरीदते हैं जिनकी हमें असल में जरूरत होती है। मिनिमलिस्ट होने का मतलब है अपने आस-पास की चकाचौंध से दूर रहना और उन चीजों पर फोकस करना जो हमारे लिए सचमुच जरूरी हैं। यह एक ऐसी लाइफ है जहां हम दिखावे वाली चीजों से दूर रहते हैं और कम से कम चीजों में ज्यादा से ज्यादा खुशियां तलाशने की कोशिश करते हैं।
मिनिमलिस्ट लाइफ जीने यानी मिनिमलिज्म के कई फायदे हैं। इससे न सिर्फ हमारा घर साफ-सुथरा रहता है बल्कि हमारी जिंदगी भी बहुत आसान हो जाती है। जब हमारे पास कम चीजें होती हैं तो हमें इनकी देखभाल करने में भी कम समय लगता है। इससे हमारे पास अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने के लिए ज्यादा समय बच जाता है।
मिनिमलिज्म हमें और हैप्पी रहने में भी मदद करता है, क्योंकि जब हमारे पास बहुत सारी चीजें होती हैं तो हमारा मन हमेशा इनकी देखभाल या दिखावे में लगा रहता है। वहीं, जब हमारे पास कम चीजें होती हैं तो हम इन छोटी-छोटी चीजों को लेकर परेशान नहीं होते हैं और हमारी जिंदगी कई गुना शांत हो जाती हैं।
- जरूरत vs इच्छा: हर चीज खरीदने से पहले खुद से पूछें कि क्या यह वास्तव में जरूरी है या सिर्फ एक इच्छा है।
- कीमत पर गौर करें: लाइफ में आपके लिए क्या जरूरी है, इसकी एक लिस्ट बनाएं और फिर अपनी चीजों को इसी लिस्ट के हिसाब से प्रायोरिटी दें।
- वन टाइम-वन रूम: पूरे घर को एक साथ साफ करने की कोशिश करने के बजाय, एक कमरे से शुरू करें। यह आपको मोटिवेट रखेगा और काम को टुकड़ों में बांटने से यह आसान भी बन जाएगा।
- 90-दिन का नियम: अगर आपने पिछले 90 दिनों में किसी चीज का इस्तेमाल नहीं किया है, तो शायद आपको इसकी उतनी जरूरत नहीं है। हालांकि, ध्यान रहे कि यह बात एक चीज पर लागू नहीं होती है। इसे सही ढंग से समझने के लिए आपको अपनी जरूरतों को टटोलना होगा।
- दान करें या बेचें: जिन चीजों का आप इस्तेमाल नहीं करते हैं, उन्हें या तो दान कर दें या फिर बेच दें। इससे न सिर्फ आपका घर साफ होगा बल्कि किसी और की मदद भी हो जाएगी।
- डिजिटल क्लटर: अपने कंप्यूटर, फोन और ईमेल को भी मैनेज करें, यानी गैर-जरूरी फाइलें और ऐप्स हटा दें।
- क्वालिटी पर ध्यान दें: सस्ती चीजें खरीदने के बजाय, अच्छी क्वालिटी वाली चीजे खरीदें जो लंबे समय तक चलती हैं और इन्हें रिपेयर करने में आपका नुकसान भी नहीं होता है।
- जरूरत के मुताबिक खरीदें: भावनाओं में बहकर खरीदारी बिल्कुल भी न करें और केवल उन चीजो को खरीदें जिनकी आपको हकीकत में जरूरत है।
- बार्टरिंग और किराए पर लेना: कुछ चीजों को खरीदने के बजाय, उन्हें बार्टर कर सकते हैं या किराए पर ले सकते हैं।
- यादें बनाएं: चीजों के बजाय, एक्सपीरिएंस पर पैसा खर्च करें। ट्रिप प्लान करें और अपनी हॉबीज को एन्जॉय करें, क्योंकि यह आपको लंबे समय तक खुश रखेंगी।
- प्रकृति में समय बिताएं: तनाव कम होता है और मेंटल हेल्थ को भी काफी फायदा पहुंचता है।