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Sunday, December 7, 2025

UN में ट्रंप की मर्दानगी पर उठा सवाल: तुर्की, फ्रांस और जापान के नेताओं ने किया बड़ा खुलासा

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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी बेबाकी, विवादित बयानों और दबंग छवि के लिए दुनिया भर में मशहूर हैं। लेकिन उनकी शख्सियत का एक ऐसा पहलू भी है, जो अक्सर सुर्खियों में रहता है—सीढ़ियों से डर और अजीबोगरीब हाथ मिलाने की आदत। संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में टेलीप्रॉम्पटर और एस्केलेटर को लेकर भड़ास निकालने के बाद एक बार फिर ट्रंप की इन कमजोरियों पर चर्चा छिड़ गई है। सवाल यह है कि आखिर क्यों दुनिया के सबसे ताकतवर माने जाने वाले नेता को हाथ मिलाने और सीढ़ियां चढ़ने से इतनी परेशानी होती है?

करीब 80 साल के डोनाल्ड ट्रंप भले ही खुद को और अमेरिका को पूरी दुनिया का दादा समझते हों, लेकिन सच यह है कि वह भी इंसानी कमजोरियों से घिरे हुए हैं। उनका नाम सुनते ही दिमाग में एक दबंग, बेबाक और विवादित नेता की छवि उभरती है। मगर, दुनिया के सबसे ताकतवर माने जाने वाले इस नेता को दो चीजों से बेहद डर लगता है—सीढ़ियों पर चढ़ना और हाथ मिलाना। यही नहीं, उनके अजीबोगरीब हाथ मिलाने के अंदाज़ ने तो दुनिया भर के नेताओं को भी चौंका दिया है।

UN में टेलीप्रॉम्पटर और एस्केलेटर पर निकाली भड़ास

न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में ट्रंप का एक वाकया काफी चर्चा में रहा। दरअसल, ट्रंप UN जनरल असेंबली को संबोधित करने पहुंचे थे। जैसे ही वे ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा के भाषण के बाद स्टेज पर आए, उन्हें पता चला कि टेलीप्रॉम्पटर सही से काम नहीं कर रहा। उन्होंने मौके पर ही तंज कस दिया—“यूएन का काम करने का तरीका भी खराब टेलीप्रॉम्पटर की तरह है, इसका काम मुझे ही करना पड़ रहा है।”

यही नहीं, ट्रंप ने वहां की एस्केलेटर सीढ़ियों पर भी चुटकी ली। उन्होंने कहा—“जब मैं यहां आ रहा था तो एस्केलेटर भी खराब था। मेरी पत्नी मेलानिया फिट हैं इसलिए वह बच गईं, मगर मुझे डर था कि कहीं गिर न जाऊं।”

इस बयान के बाद उनके ‘सीढ़ियों के डर’ का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में आ गया।

सीढ़ियों से खौफ और हाथ मिलाने का फोबिया

ब्रिटेन के द संडे टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप स्टेयरफोबिया (सीढ़ियों और ढलान का डर) से पीड़ित हैं। यही कारण है कि उनके विदेशी दौरों में खास ख्याल रखा जाता है कि उन्हें कम से कम सीढ़ियां चढ़नी पड़ें।

इसके अलावा, ट्रंप जर्मोफोबिया यानी कीटाणुओं और संक्रमण का डर भी रखते हैं। इसी वजह से उनका हाथ मिलाने का अंदाज़ अलग और अजीब हो जाता है। कई बार वह सामने वाले का हाथ दबा देते हैं, कभी अपनी मुट्ठी में जकड़ लेते हैं, तो कभी इतना कसकर पकड़ते हैं कि सामने वाला हैरान रह जाए।

ट्रंप के ‘हैंडशेक डिप्लोमेसी’ पर मचा बवाल

दुनिया भर के नेताओं के साथ ट्रंप का हाथ मिलाना हमेशा सुर्खियों में रहा है। आमतौर पर नेताओं के हाथ मिलाने पर मीडिया खास ध्यान नहीं देता, लेकिन ट्रंप के मामले में यह अपवाद है।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे, कनाडा के जस्टिन ट्रूडो, रूस के व्लादिमीर पुतिन और तुर्की के रेचेप तैयप एर्दोगन—इन सबके साथ हाथ मिलाने के उनके अंदाज़ पर खूब चर्चा हुई।

  • वॉशिंगटन पोस्ट ने इसे “अजीब और तीव्र आदत” बताया।

  • द गार्जियन ने इसे श्रेष्ठता जताने का तरीका कहा।

  • न्यू स्टेट्समैन ने इसे मर्दानगी का प्रदर्शन करार दिया।

  • वहीं, कुछ मनोवैज्ञानिकों ने इसे ट्रंप की रणनीति माना, ताकि वह सामने वाले नेता पर दबाव बना सकें।

क्या यह मर्दानगी जताने का तरीका है?

कई एक्सपर्ट मानते हैं कि ट्रंप का यह व्यवहार उनकी पर्सनैलिटी का हिस्सा है। वह अक्सर अपनी ताकत, आत्मविश्वास और श्रेष्ठता का संदेश हाथ मिलाने के जरिए देना चाहते हैं। हालांकि, एंथ्रोपोलॉजी नाउ जैसे जर्नल्स का कहना है कि इसके पीछे उनका जर्मोफोबिया भी जिम्मेदार है।

ट्रंप खुद कई बार कह चुके हैं कि उन्हें हाथ मिलाना “बर्बर और घृणित परंपरा” लगता है। कोविड-19 महामारी के दौरान तो उन्होंने यहां तक भविष्यवाणी कर दी थी कि यह परंपरा खत्म हो सकती है। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी माना कि एक राजनेता होने के नाते उन्हें हाथ मिलाने की सामाजिक परंपरा निभानी ही पड़ेगी।

जर्मोफोबिया क्या है?

जर्मोफोबिया को माइसोफोबिया, वर्मिनोफोबिया और बैक्टीरियोफोबिया भी कहा जाता है। इसका मतलब है—कीटाणुओं और संक्रमण से डर। इस टर्म का पहली बार इस्तेमाल अमेरिकी मिलिट्री फिजीशियन विलियम ए. हैमंड ने 1879 में किया था, जब उन्होंने देखा कि कुछ सैनिक बार-बार अपने हाथ धोते रहते थे।

मैक्रों और ट्रूडो के साथ हाथ मिलाना बना सुर्खियां

2017 में फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों से ट्रंप का हाथ मिलाना इतिहास बन गया। पांच सेकंड तक चले इस हैंडशेक को मैक्रों ने जानबूझकर मजबूत रखा था। उन्होंने बाद में कहा—“यह साफ-सुथरा हाथ मिलाना नहीं था, यह एक संदेश था।” वहीं, ट्रंप ने मैक्रों को “मजबूत और बुद्धिमान” करार दिया।

कनाडा के जस्टिन ट्रूडो भी इस अनुभव से गुजरे। एक मुलाकात में ट्रंप ने उनका हाथ मजबूती से पकड़े रखा, जिस पर दुनिया भर के मीडिया ने चर्चा की। द इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के अनुसार, कई विश्व नेता अब ट्रंप से हाथ मिलाने से पहले मानसिक तैयारी करने लगे थे।

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