वास्तु शास्त्र में निहित है कि घर की दक्षिण दिशा में यम और पितरों का निवास होता है। इस दिशा में पितरों की पूजा जाती है। दक्षिण दिशा में कभी पूजा गृह नहीं बनाना चाहिए। साथ ही पूजा गृह में पितरों की तस्वीर न लगाएं। इसके लिए घर के निर्माण और घर हेतु भूमि खरीदने के समय वास्तु नियमों का जरूर पालन करें।
- घर की उत्तर दिशा में मंदिर बनाएं।
- पूर्व दिशा में दरवाजा शुभ माना जाता है।
- उत्तर दिशा में घर का मुख्य द्वार बना सकते हैं।
सनातन धर्म में वास्तु शास्त्र का विशेष महत्व है। इस शास्त्र के माध्यम से ही गृह का निर्माण किया जाता है। साथ ही गृह में भी वास्तु नियमों का पालन किया जाता है। ज्योतिष भी गृह निर्माण से लेकर प्रवेश तक वास्तु नियमों का पालन करने की सलाह देते हैं। अनदेखी करने से जीवन में नाना प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही धन संबंधी परेशानी आती है। कई अवसर पर अनहोनी का भी खतरा रहता है। इसके लिए वास्तु नियमों का पालन जरूरी है। अगर आप भी गृह निर्माण हेतु भूमि खरीदने की सोच रहे हैं, तो वास्तु के इन बातों का जरूर ध्यान रखें।
- अगर आप घर खरीदने की सोच रहे हैं और इसमें आपको सफलता नहीं मिल रही है या भूमि खरीदने में परेशानी आ रही है, तो भगवान विष्णु और उनके विभिन्न रूपों की पूजा करें। इसके लिए भगवान विष्णु के नामों का मंत्र जप भी कर सकते हैं। इस उपाय को करने से अवश्य ही सफलता मिलती है।
- वास्तु शास्त्र में निहित है कि समतल और जीवित भूमि (हरे भरे) गृह के लिए उत्तम होता है। आसान शब्दों में कहें तो जिस भूमि पर हरे भरे पेड़-पौधे और घास हैं। साथ ही खेती होती है, तो ऐसी भूमि जीवित मानी जाती है। गृह निर्माण के लिए उत्तम भूमि है।
- ऐसी भूमि जो ऊसर है, चूहों का निवास स्थान है, उबड़-खाबड़ है, गृह निर्माण या गृह के लिए उत्तम नहीं मानी जाती है। इस भूमि का तत्काल से त्याग कर देना चाहिए। ऊसर भूमि पर निवास करने से धन का नाश होता है।
- अगर आप भूमि खरीदने की सोच रहे हैं या भूमि खरीद रहे हैं, तो भूमि की वास्तु जांच के लिए एक हाथ चौड़ा, लंबा और गहरा गढ्ढा करें। इसके बाद गढ्ढे को भर दें। अगर मिट्टी डालने के बाद भी शेष बच जाए, तो गृह निर्माण के लिए उत्तम भूमि है। इस भूमि पर गृह निर्माण यानी घर बनाने से धन और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
- वास्तु जानकारों की मानें तो चूहे के बिल वाले स्थान पर घर बनाने से धन का नाश होता है। दीमक के रहने वाले स्थान पर गृह बनाने से पुत्र वियोग मिलता है। दरार और बंजर स्थान वाले भूमि पर घर बनाने से अनहोनी का खतरा रहता है।