आम आदमी पार्टी नेता मनीष सिसोदिया अरविंद केजरीवाल के साथ सोमवार को मुलाकात करने जा रहे हैं. केजरीवाल की ओर से पद छोड़ने की घोषणा के एक दिन बाद यह मुलाकात होने जा रही है. केजरीवाल ने कहा है कि वह तब तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे जब तक जनता ‘ईमानदारी का सर्टिफिकेट’ नहीं देती.
अरविंद केजरीवाल ने यह भी साफ कर दिया कि उनकी तरह अगली चुनावी जीत तक मनीष सिसोदिया भी पद नहीं ग्रहण करेंगे. आज सिसोदिया और केजरीवाल की मुलाकात होगी.केजरीवाल के फैसले के बाद दोनों नेताओं की पहली मुलाकात है. बैठक में अगले मुख्यमंत्री को लेकर चर्चा हो सकती है.’ दोनों नेताओं की मुलाकात सिविल लाइंस एरिया में सीएम के आधिकारिक आवास में होगी.
आप सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा, “मुख्यमंत्री ने ईमानदारी के नाम पर चुनाव लड़ने की बात की है. एक ईमानदार आदमी को जेल भेज दिया गया, पूरी केंद्र सरकार फंसाने में लगी हुई थी. बीजेपी को लेकर बहुत ज्यादा नराजगी है. दिल्ली में हर कोई कह रहा है कि चुनाव कब होगा. दिल्ली की जनता चाहती है कि चुनाव हो तो अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री चुनें.”
कथित शराब घोटाले में गिरफ्तारी के बाद जमानत पर निकले केजरीवाल ने कहा कि वह विधायकों के साथ बैठक करेंगे. उन्होंने कहा कि 2-3 दिन में विधायक दल की बैठक होगी और आम आदमी पार्टी से नए का चुनाव किया जाएगा. केजरीवाल की घोषणा के बाद इस बात की चर्चा छिड़ गई है कि दिल्ली का नया मुख्यमंत्री कौन होगा. केजरीवाल सरकार की मंत्री आतिशी और गोपाल राय का नाम रेस में सबसे आगे बताया जा रहा है. चर्चा इस बात की भी है कि केजरीवाल की पत्नी सुनीता को भी यह जिम्मेदारी दी जा सकती है. मंत्री कैलाश गहलोत के नाम पर भी विचार किया जा सकता है, जो अभी तक विवादों से दूर रहे हैं.
अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के ऐलान पर बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज ने कहा कि अरविंद केजरीवाल शराब घोटाले के किंगपिंग हैं. केजरीवाल ने राजनीतिक ढोंग रचा है. उन्हें अगर इस्तीफा देना ही था तो 2 दिन का समय क्यों मांगा क्या उनकी पार्टी में सब सही नहीं है.
सूत्रों के मुताबिक, दोनों नेता संभावित चेहरों पर बारी-बारी से चर्चा करेंगे और एक नाम तय किया जाएगा जिसे विधायक दल की बैठक में मुहर के लिए विधायकों के सामने रखा जाएगा. यह भी कहा जा रहा है कि केजरीवाल कोई चौंकाने वाला चेहरा भी सामने ला सकते हैं. संभव है कि वह किसी दलित चेहरे पर भी दांव लगा सकते हैं. पहले राज कुमार आनंद के इस्तीफे और फिर राजेंद्र पाल गौतम के पार्टी छोड़ने के बाद दलितों के बीच संदेश देने की कोशिश की जा सकती है.