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Wednesday, March 12, 2025

Women Health Tips: 30 पार कर चुकी महिलाओं को जरूर करवाने चाहिए 5 मेडिकल टेस्ट, नहीं तो बाद में मलती रह जाएंगी हाथ

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उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं, खासकर महिलाओं में। 30 की उम्र के बाद महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के लिए ज्यादा सजग रहने की जरूरत होती है।

इस उम्र में कुछ स्वास्थ्य समस्याएं जैसे हार्मोनल बदलाव, हड्डियों का कमजोर होना और भी कुछ गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में नियमित टेस्ट करवाना बेहद जरूरी हो जाता है। यहां हम उन 5 जरूरी टेस्ट्स के बारे में बात करेंगे, जो 30 की उम्र के बाद हर महिला को जरूर करवाने चाहिए।

ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल टेस्ट

30 की उम्र के बाद दिल से जुड़ी समस्याएं बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है। हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की समस्या आमतौर पर लक्षण दिखाए बिना ही शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए नियमित रूप से ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की जांच करवाना जरूरी है। यह टेस्ट दिल की बीमारियों, स्ट्रोक और अन्य गंभीर बीमारियों के खतरे को कम करने में मदद करता है।

पैप स्मीयर टेस्ट

पैप स्मीयर टेस्ट महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने के लिए किया जाता है। 30 की उम्र के बाद इस टेस्ट को नियमित रूप से करवाना चाहिए, खासकर अगर आपकी फैमिली हिस्ट्री में कैंसर का कोई रिकॉर्ड हो। यह टेस्ट सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती लक्षणों का पता लगाकर उसका समय रहते इलाज संभव बनाता है।

मैमोग्राफी (स्तन कैंसर की जांच)

ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होने वाली सबसे आम कैंसर में से एक है। 30 की उम्र के बाद महिलाओं को नियमित रूप से मैमोग्राफी टेस्ट करवाना चाहिए। यह टेस्ट ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने में मदद करता है। अगर फैमिली हिस्ट्री में स्तन कैंसर है, तो यह टेस्ट और भी जरूरी हो जाता है।

बोन डेंसिटी टेस्ट

30 की उम्र के बाद महिलाओं में हड्डियों की डेंसिटी कम होने लगता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। बोन डेंसिटी टेस्ट हड्डियों की मजबूती और डेंसिटी को मापता है। यह टेस्ट खासकर से उन महिलाओं के लिए जरूरी है, जिन्हें कैल्शियम की कमी हो या जिनकी लाइफस्टाइल में फिजिकल एक्टिविटीज कम हों।

थायरॉइड फंक्शन टेस्ट

थायरॉइड की समस्या आजकल आम हो गई है, खासकर महिलाओं में। थायरॉइड हार्मोन का असंतुलन शरीर के मेटाबॉलिज्म को प्रभावित कर सकता है, जिससे वजन बढ़ना, थकान और अन्य समस्याएं हो सकती हैं। 30 की उम्र के बाद थायरॉइड फंक्शन टेस्ट करवाना चाहिए, ताकि थायरॉइड से जुड़ी समस्याओं का समय रहते पता लगाया जा सके।

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