महिलाओं पर घरेलू काम और देखभाल के अलावा बोझ का जिक्र करते हुए मंगलवार को यूनाइटेड नेशन्स की अंडर सेकरेट्री जनरल और ईएससीएपी की एक्जीक्यूटिव सेकरेट्री अरमिदा सालसिआ अलीस्जाहबाना ने कहा कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं बगैर भुगतान के (अनपेड) घरेलू काम और देखभाल में पांच गुना ज्यादा समय देती है और ये उनकी शिक्षा, रोजगार, और फुरसत व आराम के मौकों को सीमित कर देता है। उन्होंने कहा कि हमें जेंडर स्टीरियोटाइप भेदभाव के नियमों और सोच को कतई नजरअंदाज नहीं करना चाहिए ये चीजे लिंग आधारित समानता का रास्ता बाधित करती हैं।
अरमिदा सालसिआ ने मंगलवार को बैंकाक में बीजिंग 30 एशिया पैसिफिक मिनिस्टरल कान्फ्रेंस के ओपनिंग रिमार्क में यह बात कही। हालांकि, उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि आज एशिया एंड पैसिफिक में बहुत ज्यादा संख्या में लड़कियां स्कूल पहुंची हैं और शिक्षा ले रही हैं, जो कि पहले नहीं थीं, शिक्षा से उनके भविष्य के नए आयाम खुलेंगे। उन्होंने इस बात पर भी खुशी जताई कि नेतृत्व में महिलाओं की भागेदारी बढ़ी है।
राजनीति, बिजनेस, और निणर्य लेने के अधिकार मे महिलाओं की भागेदारी बढ़ने से परिवर्तनकारी बदलाव आएगा और अगली पीढ़ी को प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा कि इससे साबित होता है कि अगर हम मिलकर प्रयास करेंगे तो बदलाव संभव है। लेकिन इसकी खुशी मनाने के साथ ही कुछ दुखद सच्चाइयों को भी ध्यान में रखना होगा।
कई क्षेत्रों में प्रगति समान नहीं है, कुछ जगह स्थित नाजुक है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि चार में से एक महिला अपने पार्टनर की हिंसा का सामना करती है, ये उनकी गरिमा, सुरक्षा और मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है। मंगलवार को बैकाक में बीजिंग 30 रिव्यू पर एशिया पैसिफिक मिनिस्टरल कान्फ्रेंस शुरू हुई जिसमें सरकार, सिविल सोसाइटी, प्राइवेट सेक्टर और विशेषज्ञों के करीब 1200 डेलीगेट्स भाग ले रहे हैं।
इसमें लिंग आधारित समानता के बीजिंग घोषणा को लागू करने के कार्यों की समीक्षा और प्रगति पर चर्चा हो रही है। इस तीन दिवसीय कान्फ्रेंस का आयोजन यूनाइटेड नेशन्स इकोनोमिक एंड सोशल कमीशन फार एशिया एंड पैसिफिक (ईएससीएपी) और यूएन वुमेन ने मिल कर किया है।