पूर्णिमा भगवान का सबसे प्रिय दिन है. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करने वालों के सभी पाप धुल जाते हैं. मृत्यु के बाद व्यक्ति जन्म और मृत्यु के बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है. पूर्णिमा के दिन चंद्रमा सोलह कलाओं में होता है, चंद्रमा की रोशनी से अमृत की किरणें बरसती हैं. ऐसी स्थिति में चंद्र अर्घ्य देने वाले को अमृत के गुण प्राप्त होते हैं. यह दिन शुभ माना जाता है क्योंकि यह देवी लक्ष्मी का जन्मदिन है. इस साल 2024 में भाद्रपद पूर्णिमा दो दिन मनाई गई, जिसमें कई दुर्लभ पूर्णिमाएं शामिल हैं.
पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि 17 सितंबर को सुबह 11:44 बजे शुरू होगी और अगले दिन यानी 18 सितंबर को सुबह 08:04 बजे समाप्त होगी. ज्योतिषीय गणना के अनुसार पूर्णिमा व्रत 17 सितंबर को मनाया जाएगा. जबकि भाद्रपद पूर्णिमा 18 सितंबर को मनाई जाएगी.
– 16 सितंबर 2024, सुबह 11.42 बजे – 17 सितंबर 2024, सुबह 07.48 बजे
– सुबह 06.07 बजे से दोपहर 01.53 बजे तक
– 17 सितंबर को सूर्य, शुक्र और केतु कन्या राशि में रहेंगे. इससे त्रिग्रही योग बनेगा.
– भादों पूर्णिमा पर सूर्य और शुक्र कन्या राशि में होने से शुक्रादित्य योग बनेगा. शुक्र सौंदर्य, धन, सफलता और खुशी का कारक ग्रह है. उनकी कृपा से जीवन आनंदमय है.