नई दिल्ली। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक में बड़ा फैसला लेते हुए रेपो रेट में 0.25% की कटौती की है। बुधवार, 9 अप्रैल को RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इस निर्णय की घोषणा करते हुए बताया कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने सर्वसम्मति से यह फैसला लिया है। अब नई रेपो रेट घटकर 6% हो गई है।
इससे पहले फरवरी 2025 में भी रेपो रेट में 0.25% की कटौती की गई थी, जब पांच साल बाद पहली बार ब्याज दरों में बदलाव हुआ था। तब रेपो रेट को 6.5% से घटाकर 6.25% किया गया था।
महंगाई और विकास को ध्यान में रखकर लिया गया निर्णय
RBI गवर्नर मल्होत्रा ने बताया कि इस बार तीन दिवसीय MPC बैठक 7 अप्रैल से 9 अप्रैल तक चली, जिसमें देश की आर्थिक स्थिति, महंगाई के स्तर और विकास दर को ध्यान में रखते हुए यह कटौती की गई। साथ ही, उन्होंने बताया कि अब मौद्रिक नीति का रुख ‘न्यूट्रल’ से बदलकर ‘समायोजी’ (Accommodative) कर दिया गया है, जिससे संकेत मिलता है कि भविष्य में और भी दरों में कटौती हो सकती है।
रेपो रेट में कटौती का क्या होगा असर?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंक, RBI से अल्पकालिक ऋण लेते हैं। जब RBI इस दर को घटाता है, तो बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है, और वे ग्राहकों को भी सस्ते ब्याज पर लोन देना शुरू करते हैं। इससे बाजार में मांग बढ़ती है, निवेश को प्रोत्साहन मिलता है और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों और घरेलू स्तर पर मांग में गिरावट को देखते हुए यह फैसला अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने में मददगार साबित हो सकता है।
MPC की अगली बैठकें:
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दूसरी बैठक: 4-6 जून 2025
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तीसरी बैठक: 5-7 अगस्त 2025
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चौथी बैठक: 29 सितंबर – 1 अक्टूबर 2025
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पांचवीं बैठक: 3-5 दिसंबर 2025
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छठी बैठक: 4-6 फरवरी 2026