AI के खतरनाक इस्तेमाल को रोकने के लिए सख्त नियम बनाने की मांग तेज हो रही है। इस मांग के पीछे AI के ‘गॉडफादर’ जेफ्री हिंटन और कई अन्य विशेषज्ञ शामिल हैं, जिन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि तकनीक के गलत उपयोग को रोकने के लिए जल्द ही ठोस कदम उठाना जरूरी है।
हाल के दिनों में AI (Artificial Intelligence) ने दुनियाभर में सुर्खियां बटोरी हैं। जहां इसके अच्छे कामों की तारीफ हो रही है, वहीं इसके दुष्प्रभाव और खतरनाक इस्तेमाल को लेकर भी चिंता बढ़ रही है। इसी वजह से दुनिया के कई नेताओं, वैज्ञानिकों और नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने AI पर सख्त नियम बनाने की मांग उठाई है।
न्यूयॉर्क में शुरू हुई संयुक्त राष्ट्र की हाई-लेवल वीक में 200 से ज्यादा विशेषज्ञों ने यह मांग उठाई। उनका कहना है कि 2026 तक सभी देशों को मिलकर ऐसे नियम बनाने चाहिए, जो AI के उपयोग को नियंत्रित करें और सुनिश्चित करें कि इसका दुरुपयोग न हो। इस सूची में AI के ‘गॉडफादर’ जेफ्री हिंटन भी शामिल हैं।
ग्लोबल कॉल फॉर AI रेड लाइन्स
संयुक्त राष्ट्र की इस बैठक में AI के लिए नियम बनाने की मांग करने वाले लोगों ने अपना स्टेटमेंट ‘Global Call for AI Red Lines’ के नाम से जारी किया। इसमें कहा गया कि AI का गलत इस्तेमाल समाज और मानवता के लिए गंभीर खतरा हो सकता है।
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मारिया रेसा ने इस बयान को पेश करते हुए कहा कि AI जिस तेज़ी से बढ़ रहा है, उससे समाज को बड़े खतरे हो सकते हैं। उनका कहना था कि दुनिया की सरकारों को अंतरराष्ट्रीय समझौता करना चाहिए, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि AI का इस्तेमाल किन कामों के लिए किया जा सकता है और किनके लिए नहीं।
AI के संभावित खतरे
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर समय रहते AI को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो इसके कई खतरनाक परिणाम सामने आ सकते हैं:
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बेरोजगारी: AI के बढ़ते इस्तेमाल से कई उद्योगों में मानव श्रमिकों की जरूरत कम हो सकती है।
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मानवाधिकारों का हनन: AI का गलत इस्तेमाल निगरानी और अधिकारों के उल्लंघन में हो सकता है।
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स्वास्थ्य और मानसिक असर: किशोरों और बच्चों में AI के गलत इस्तेमाल के कारण मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं और आत्महत्या के मामले बढ़ सकते हैं।
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हथियार और नकली खबरें: AI का उपयोग हथियार बनाने, नकली न्यूज फैलाने या समाज में भ्रम पैदा करने के लिए किया जा सकता है।
कौन-कौन हैं इस मांग के पीछे
AI पर सख्त नियम बनाने की मांग करने वाले दिग्गजों में शामिल हैं:
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जेफ्री हिंटन – AI के गॉडफादर
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जेनिफर डाउडना – नोबेल पुरस्कार विजेता
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डैरन एसेमोग्लू – अर्थशास्त्री
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जियोर्जियो पारिसीने – भौतिक विज्ञानी
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युवाल नोआ हरारी – लेखक और इतिहासकार
युवाल हरारी ने कहा कि अगर AI के लिए सख्त नियम नहीं बनाए गए, तो यह हमारी मानवता के आधार को खतरे में डाल सकता है।
निष्कर्ष
AI ने जहां दुनिया को तेजी से बदल दिया है, वहीं इसके अनियंत्रित और खतरनाक इस्तेमाल की चिंता भी बढ़ रही है। 2026 तक वैश्विक स्तर पर नियम बनाने की यह मांग न केवल AI क्रिएटर्स और तकनीकी कंपनियों के लिए जरूरी है, बल्कि पूरे समाज की सुरक्षा और मानवता के भविष्य के लिए भी अहम कदम माना जा रहा है।
AI पर नियम बनाना अब सिर्फ तकनीकी या राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि वैश्विक मानवता और सुरक्षा का सवाल बन गया है।
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