Bharat में हो रहा ट्रांसपोर्ट और EV इंफ्रास्ट्रक्चर का बड़ा निवेश भारत में परिवहन (Transport) और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर बड़े पैमाने पर निवेश हो रहा है। केंद्र सरकार और प्राइवेट कंपनियाँ मिलकर आने वाले 5 वर्षों में हज़ारों करोड़ रुपये इस सेक्टर में लगाने जा रही हैं। इसका उद्देश्य देश को ग्रीन मोबिलिटी की ओर बढ़ाना और ट्रैफिक व प्रदूषण की समस्या को कम करना है।
कहाँ हो रहा निवेश?
EV चार्जिंग स्टेशन – 2025 तक हर 25 किलोमीटर पर फास्ट चार्जिंग स्टेशन लगाने की योजना।
मेट्रो और रैपिड रेल – दिल्ली–एनसीआर, मुंबई, बेंगलुरु और लखनऊ जैसे शहरों में नई मेट्रो और रैपिड रेल कॉरिडोर पर निवेश।
हाईवे इलेक्ट्रिफिकेशन – एक्सप्रेसवे पर EV चार्जिंग हब बनाए जा रहे हैं।
मैन्युफैक्चरिंग हब – महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात में EV पार्ट्स और बैटरी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स की स्थापना।
सरकार की भूमिका
सरकार ने EV खरीदने पर सब्सिडी और टैक्स छूट जारी रखी है।
राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन (NEMM) के तहत 2030 तक 70% टू-व्हीलर और 40% कारें EV बनाने का लक्ष्य।
परिवहन मंत्रालय ने राज्यों के साथ मिलकर “ग्रीन हाइवे प्रोजेक्ट” शुरू किया है।
आर्थिक लाभ
EV सेक्टर में अगले 5 वर्षों में 20 लाख से ज्यादा रोजगार बनने की संभावना।
बैटरी और चार्जिंग सेक्टर में विदेशी कंपनियों के आने से FDI (विदेशी निवेश) बढ़ेगा।
तेल आयात पर निर्भरता घटेगी, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
पर्यावरण पर असर
EV इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ने से कार्बन उत्सर्जन में 30% तक कमी आएगी।
ट्रांसपोर्ट सेक्टर भारत में सबसे ज्यादा प्रदूषण करने वाला सेक्टर है, इस निवेश से हवा की गुणवत्ता बेहतर होगी।
चुनौतियाँ
बैटरी की ऊँची कीमत और रिसाइक्लिंग की समस्या।
ग्रामीण इलाकों में चार्जिंग स्टेशनों की कमी।
EV गाड़ियों की शुरुआती कीमत अभी भी आम लोगों की पहुँच से बाहर।
निष्कर्ष : भारत में हो रहा यह बड़ा निवेश परिवहन और EV इंफ्रास्ट्रक्चर को एक नई दिशा देगा। आने वाले वर्षों में देश न केवल प्रदूषण कम करेगा बल्कि रोजगार, निवेश और तकनीकी विकास में भी तेजी लाएगा।
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