दिन की शुरुआत शुभ हो तो पूरा दिन शुभ रहता है। सुबह को शुभ बनाने के लिए कई परंपराएं पुराने समय से चली आ रही हैं। सुबह जागते ही पहला प्रणाम अपनी हथेलियों को किया जाता है, इसके बाद दूसरा प्रणाम जमीन पर पैर रखने से पहले भूमि देवी से किया जाता है। जानिए परंपरा से जुड़ी खास बातें और भूमि नमन मंत्र…
शास्त्रों में धरती माता को विष्णु जी की पत्नी बताया गया है। विष्णु जी की पत्नी यानी भूमि माता देवी लक्ष्मी का ही एक स्वरूप हैं। जब हम धरती माता को प्रणाम करते हैं तो देवी हमें आशीर्वाद देती हैं, देवी की कृपा से हमें शांति, सकारात्मकता, पवित्रता और साहस मिलता है।
देवी को प्रणाम करके जब हम दिन की शुरुआत करते हैं तो पूरे दिन इसका शुभ असर हमारे कामों में और विचारों में बने रहता है।
भूमि नमन क्यों करना चाहिए?
- भारतीय संस्कृति की मान्यता है कि हमारा पैर किसी व्यक्ति को स्पर्श होता है तो हमें दोष लगता है, इसी वजह से जब गलती से भी हमारा पैर किसी को लगता है तो हम उससे क्षमा मांगते हैं।
- भूमि को देवी माना गया है और सुबह जब हम भूमि पर पैर रखते हैं तो उस समय भी हमें दोष लगता है, इस दोष से मुक्ति के लिए पैर रखने से पहले भूमि देवी से क्षमा मांगने की परंपरा है।
- भूमि नमन प्रकृति का आभार मानने की परंपरा है। भूमि ही हमारे जीवन का मुख्य आधार है। भूमि से ही हमें जल, अन्न, रहने के लिए घर, भूमि पर उग रहे पेड़ों से प्राण वायु और अन्य सभी जरूरी चीजें मिलती हैं। जब हम भूमि को नमन करते हैं तो हमारे मन में ये भाव होना चाहिए कि हम भूमि और इसके सभी तत्वों का सम्मान करेंगे, जल, वायु, पेड़-पौधे, नदियां, पर्वत, अन्न का अपव्यय नहीं करेंगे।
- इन्हीं भावनाओं के साथ खिलाड़ी खेल के मैदान को प्रणाम करते हैं, कलाकार मंच को प्रणाम करते हैं, दुकानदार अपनी दुकान को प्रणाम करते हैं, भक्त किसी भी मंदिर में प्रवेश करते समय धरती को प्रणाम करते हैं।