नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बाद प्रभावित हुई देश की वित्तीय स्थिति को फिर से मजबूत करने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। फाइनेंशियल रिस्पांसिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट (एफआरबीएम) एक्ट के तहत सरकार राजकोषीय घाटे में कमी लाने और कुल कर्ज अनुपात को घटाने की दिशा में काम कर रही है।
2030-31 तक कर्ज अनुपात 51% तक लाने का लक्ष्य
वित्त मंत्रालय के अनुसार, सरकार ने वित्त वर्ष 2030-31 तक कर्ज के अनुपात को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 51 प्रतिशत तक सीमित करने का लक्ष्य रखा है। वर्तमान वित्त वर्ष में यह अनुपात 57.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। हालांकि, कर्ज का अनुपात जीडीपी की विकास दर पर भी निर्भर करेगा।
अगर अगले पांच वर्षों में चालू मूल्य पर जीडीपी की विकास दर 11 प्रतिशत बनी रहती है, तो 2030-31 में कर्ज का अनुपात घटकर 48 प्रतिशत तक आ सकता है। इससे राजकोषीय घाटे में भी कमी आएगी। चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि 2025-26 में यह 4.4 प्रतिशत तक आ सकता है।
टैक्स राजस्व में वृद्धि का अनुमान
सरकार के बजट आकलन के अनुसार, आगामी वित्त वर्ष में कुल टैक्स राजस्व 42.70 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है, जो चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान से 10.8 प्रतिशत अधिक होगा। इसमें से 25.20 लाख करोड़ रुपये प्रत्यक्ष कर से प्राप्त होने की संभावना है।