नई दिल्ली – डिजिटल युग में पहचान की चोरी (Identity Theft) एक गंभीर समस्या बन गई है। हर दिन हजारों लोग साइबर अपराधियों के निशाने पर आ रहे हैं, जो उनकी व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग कर वित्तीय धोखाधड़ी से लेकर आपराधिक गतिविधियों तक को अंजाम देते हैं। हाल ही में वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ अनुपम गुप्ता के साथ एक बड़ा धोखा हुआ, जब उनके नाम पर लिए गए लोन की वसूली के लिए एजेंट उनके पीछे पड़ गए। इसी तरह मुंबई की एक गृहिणी को 1.3 करोड़ रुपये की संपत्ति बेचने के झूठे आरोप में कानूनी विवाद का सामना करना पड़ा, जबकि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
भारत में बढ़ रहे पहचान चोरी के मामले
2015 में एक्सपीरियन इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 77% धोखाधड़ी के मामलों की जड़ पहचान की चोरी थी। 2022 तक, भारत में 2.72 करोड़ लोग इस अपराध का शिकार हो चुके थे, जिससे यह दुनिया में सबसे अधिक पहचान चोरी वाले देशों में शामिल हो गया।
यूके स्थित समसब आइडेंटिटी फ्रॉड रिपोर्ट 2023 के मुताबिक, भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान एशिया-प्रशांत क्षेत्र के उन 10 देशों में शामिल हैं जहां डीपफेक टेक्नोलॉजी का उपयोग कर बड़े स्तर पर धोखाधड़ी की जा रही है।
क्या है पहचान की चोरी?
जब साइबर अपराधी किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी जैसे पासवर्ड, आईडी नंबर, बैंक डिटेल्स आदि चोरी कर लेते हैं और उनके नाम पर धोखाधड़ी या अन्य गैरकानूनी गतिविधियां करते हैं, तो इसे पहचान की चोरी कहा जाता है।
पहचान चोरी के प्रमुख प्रकार
- वित्तीय धोखाधड़ी – बैंक खाते या क्रेडिट कार्ड की जानकारी चुराकर अवैध लेन-देन करना।
- चिकित्सा धोखाधड़ी – किसी अन्य की स्वास्थ्य बीमा जानकारी का उपयोग कर मेडिकल सुविधाएं लेना।
- आपराधिक पहचान की चोरी – किसी निर्दोष व्यक्ति के नाम पर अपराध करके उसे कानूनी पचड़ों में फंसाना।
- सिंथेटिक पहचान चोरी – असली और नकली जानकारी मिलाकर एक नई पहचान बनाना।
- बच्चों की पहचान चोरी – बच्चों की जानकारी का दुरुपयोग करना, जिसका पता वर्षों तक नहीं चलता।
- ऑनलाइन धोखाधड़ी – सोशल मीडिया, ईमेल और वेबसाइट से जानकारी चुराकर जालसाजी करना।
- बायोमेट्रिक, टैक्स और पासपोर्ट धोखाधड़ी – फिंगरप्रिंट, पैन कार्ड और पासपोर्ट डेटा चुराकर फर्जीवाड़ा करना।
कैसे काम करते हैं साइबर अपराधी?
साइबर अपराधी आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर फ़िशिंग (Phishing), स्किमिंग, स्पूफिंग और डीपफेक जैसी विधियों से लोगों को निशाना बनाते हैं। फ़िशिंग सबसे आम तरीका है, जिसमें नकली ईमेल, कॉल या मैसेज के जरिए लोगों से संवेदनशील जानकारी ली जाती है।
भारत में बैंक अधिकारी बनकर फोन करना, आधार लिंक के बहाने जानकारी लेना और सोशल मीडिया पर नकली प्रोफाइल बनाकर ठगी करना आम धोखाधड़ी के रूप में देखा गया है।