अपने बच्चे को लेकर प्रोटेक्टिव तो हर पेरेंट्स होते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि जरूरत से ज्यादा लाड़-प्यार उनके भविष्य को बर्बाद कर सकता है? जी हां आज इस आर्टिकल में हम आपको प्लास्टिक रैप पेरेंटिंग के बारे में बताएंगे जिससे कई माता-पिता अपने बच्चों की परवरिश करना पसंद करते हैं लेकिन इससे होने वाले नुकसान से बेखबर रहते हैं।
- बच्चों की परवरिश के लिए माता-पिता कई तरीके अपनाते हैं।
- हर मां-बाप अपने बच्चों को एक बेहतर भविष्य देना चाहते हैं।
- प्लास्टिक रैप पेरेंटिंग से बच्चों का विकास बाधित हो सकता है।
आज के समय में पेरेंट्स के लिए बच्चों की परवरिश एक बड़ा चैलेंज बन चुकी है। जाहिर तौर पर हर बच्चे की जरूरतें और पसंद-नापसंद अलग-अलग होती हैं। यही वजह है कि हर तरह का पेरेंटिंग स्टाइल हर बच्चे पर फिट नहीं बैठता है। जी हां, आपने भी अब तक पेरेंटिंग के कई तरीकों के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या आपको मालूम है कि प्लास्टिक रैप पेरेंटिंग क्या होती है? बता दें, कई पेरेंट्स अपने बच्चों की परवरिश के लिए इस तरह की पेरेंटिंग फॉलो करते हैं लेकिन इससे होने वाले नुकसानों को नहीं जानते हैं। अगर आप भी इससे अनजान हैं, तो आइए आपको आसान शब्दों में समझाते हैं इसका A to Z…
प्लास्टिक रैप पेरेंटिंग बच्चों की परवरिश का एक ऐसा स्टाइल है, जिसमें माता-पिता अपने बच्चे को हर संभव खतरे से बचाने के लिए जरूरत से ज्यादा प्रोटेक्टिव माहौल बनाकर रखते हैं। इस तरह की पेरेंटिंग में बच्चों को सुरक्षा की एक ऐसी चादर या बुलबुले में रखने की कोशिश की जाती है, जहां उन्हें किसी भी तरह की परेशानी या नुकसान का सामना नहीं करना पड़े।