घरेलू बाजार में भले ही पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी ने सरकार और आम उपभोक्ताओं दोनों की चिंता बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह रुझान जारी रहा, तो आने वाले हफ्तों में ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
घरेलू बाजार में राहत बरकरार
देशभर में पेट्रोल और डीजल के दाम पिछले कई महीनों से स्थिर बने हुए हैं। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे महानगरों में कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। तेल विपणन कंपनियां (OMCs) फिलहाल रोजाना समीक्षा नीति के तहत अंतरराष्ट्रीय बाजार पर नज़र रख रही हैं। सरकार ने संकेत दिया है कि त्योहारों के मौसम में कीमतों को स्थिर रखने की कोशिश की जाएगी ताकि उपभोक्ताओं पर बोझ न बढ़े।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में उछाल से बढ़ी चिंता
ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें पिछले कुछ दिनों में 88 डॉलर प्रति बैरल के पार चली गई हैं। मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक तनाव और तेल उत्पादन में कटौती ने बाजार पर असर डाला है। रूस और ओपेक देशों द्वारा उत्पादन घटाने की रणनीति नेवैश्विक आपूर्ति पर दबाव बढ़ा दिया है। यही वजह है कि भारत जैसे आयातक देशों के लिए ऊर्जा लागत बढ़ने का खतरा मंडरा रहा है।
सरकार की रणनीति — स्थिरता बनाए रखना
सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत फिलहाल कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता से निपटने के लिए वैकल्पिक आपूर्ति स्रोतों पर काम कर रहा है। भारत ने रूस, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से दीर्घकालिक तेल अनुबंधों को बढ़ावा दिया है। सरकार का मानना है कि इस कदम से कीमतों में अचानक उछाल का असर सीमित रहेगा | आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कच्चे तेल की कीमतें 90 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर रहीं, तो घरेलू तेल कंपनियों पर मार्जिन का दबाव बढ़ेगा। या तो कंपनियों को कीमतें बढ़ानी पड़ेंगी, या सरकार को एक्साइज ड्यूटी में राहत देनी होगी। दोनों ही स्थितियों में आने वाले महीनों में ईंधन की कीमतों में बदलाव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।