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Thursday, February 13, 2025

Ram Ji Ki Puja Vidhi: राम मंदिर की पहली वर्षगांठ पर इस तरह घर में करें प्रभु श्रीराम की पूजा

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पिछले साल यानी 2024 में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम हुआ था। इसलिए अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक, आज यानी बुधवार 22 जनवरी को राम मंदिर की पहली वर्षगांठ है। वहीं वैदिक पंचांग के अनुसार, पहली वर्षगांठ इस साल 11 जनवरी 2025 को मनाई गई थी।

राम जी की पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होने के बाद मंदिर में राम जी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें
  • इसके बाद पंचामृत से स्नान करवाकर नए वस्त्र पहनाएं और तिलक लगाएं।
  • इसके बाद घी का दीपक जलाएं और राम जी को मिठाई, केसर भात, पंचामृत, धनिया पंजीरी आदि का भोग लगाएं।
  • सुंदरकांड या श्री रामचरितमानस का अखंड पाठ करें।
  • पूजा के बाद हनुमान चालीसा का पाठ भी जरूर करें।
  • अंत में सभी लोगों में प्रसाद बांटे और राम जी की आरती करें।
  • अधिक कृपा प्राप्ति के लिए आप सुबह उठकर, स्नान आदि के बाद रामरक्षा स्तोत्र का भी पाठ कर सकते हैं।

श्री सीतारामचंद्रो देवता ।अनुष्टुप छंदः। सीता शक्तिः । श्रीमान हनुमान कीलकम । श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्त्रोतजपे विनियोगः । अथ ध्यानम्‌: ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपदमासनस्थं, पीतं वासो वसानं नवकमल दल स्पर्धिनेत्रम् प्रसन्नम । वामांकारूढ़ सीता मुखकमलमिलल्लोचनम्नी, रदाभम् नानालंकारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डलम् रामचंद्रम ॥ राम रक्षा स्तोत्रम्: चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम् । एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥1॥ ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।

जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितं ॥2॥ सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम् । स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ॥3॥ रामरक्षां पठेत प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम् । शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः ॥4॥ कौसल्येयो दृशो पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुति । घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः ॥5॥ जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवन्दितः । स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः ॥6॥ करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित । मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः ॥7॥ सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः ।

उरु रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृताः ॥8॥ जानुनी सेतुकृत पातु जंघे दशमुखांतकः । पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामअखिलं वपुः ॥9॥ एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृति पठेत । स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ॥10॥ पातालभूतल व्योम चारिणश्छद्मचारिणः । न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः ॥11॥ रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन । नरौ न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥12॥ जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् । यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः ॥13॥वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत । अव्याहताज्ञाः सर्वत्र लभते जयमंगलम् ॥14॥ आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः ।

तथा लिखितवान् प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः ॥15॥ आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम् । अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान स नः प्रभुः ॥16॥ तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ । पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥17॥ फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ । पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥18॥ शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् । रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ॥19॥ आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशा वक्ष याशुगनिषङ्गसङ्गिनौ । रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम ॥20॥

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