हिंदी सिनेमा की सबसे महान फिल्म ‘शोले’ का हर किरदार आज भी दर्शकों के दिलों में बसा हुआ है। गब्बर से लेकर ठाकुर, जय-वीरू, बसंती-राधा और सांभा से लेकर कालिया तक, इन सभी ने अपनी दमदार एक्टिंग और संवादों से दर्शकों को एक अलग ही दुनिया में ले लिया। फिल्मों में जहां मुख्य किरदार हीरो-हीरोइन और विलेन के इर्द-गिर्द घूमते हैं, वहीं कुछ साइड कैरेक्टर इतने प्रभावशाली होते हैं कि वे अपने चंद सीन से दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींच लेते हैं। ऐसा ही एक किरदार था ‘सांभा’, जिसे मैक मोहन ने पर्दे पर जीवंत किया।
मैक मोहन का जन्म 1938 में कराची में हुआ था, और उन्होंने पहले क्रिकेटर बनने का सपना देखा था, लेकिन किस्मत उन्हें एक्टिंग की ओर ले आई। थिएटर से शुरुआत करने के बाद उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा और करीब 200 फिल्मों में अभिनय किया। उन्हें सबसे ज्यादा पहचान फिल्म ‘शोले’ में सांभा के किरदार से मिली, जिसमें उनका प्रसिद्ध संवाद “अरे ओ सांभा, कितने आदमी थे?” आज भी याद किया जाता है। मैक मोहन की फिल्मों में ‘डॉन’, ‘कर्ज’, ‘सत्ते पे सत्ता’, ‘जंजीर’, ‘शान’ और ‘खून पसीना’ जैसी शानदार फिल्में शामिल हैं। 2010 में फेफड़ों के कैंसर से उनकी मृत्यु हो गई, लेकिन उनकी बेटियां आज भी उनका नाम रोशन कर रही हैं।
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मैक मोहन की शादी 1986 में मिनी से हुई थी और उनके तीन बच्चे हैं—दो बेटियां, मंजरी और विनती, और एक बेटा विक्रांत। दोनों बेटियां फिल्म इंडस्ट्री में अपने बेहतरीन काम के लिए जानी जाती हैं। मंजरी ने लेखिका, निर्देशक और निर्माता के तौर पर बड़ी पहचान बनाई है। उन्होंने अमेरिकी और हिंदी फिल्मों के निर्माण में योगदान दिया है और ‘स्केटर गर्ल’ और ‘स्पिन’ जैसी फिल्मों से सफलता पाई है। उन्हें ‘स्पिन’ के लिए एमी अवार्ड्स के लिए नॉमिनेट भी किया गया है। वहीं, विनती ने शाहरुख खान की ‘माई नेम इज खान’ में अभिनय और प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया है। वह अपने पिता के नाम पर ‘मैक प्रोडक्शंस’ नाम से एक प्रोडक्शन हाउस भी चलाती हैं।