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Wednesday, September 17, 2025

Tejas Fighter Jet Delivery अटकी: अमेरिका ने इंजन सप्लाई में डाला रोड़ा, HAL के लिए बढ़ी मुश्किलें

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भारत का स्वदेशी लड़ाकू विमान कार्यक्रम यानी Tejas Fighter Jet प्रोजेक्ट एक बार फिर सुर्खियों में है। तेजस को देश की रक्षा ताकत और “मेक इन इंडिया” अभियान का अहम हिस्सा माना जाता है। लेकिन इस प्रोजेक्ट को लेकर अब नई चुनौतियाँ सामने आ रही हैं। दरअसल, अमेरिका ने तेजस में इस्तेमाल होने वाले इंजन की सप्लाई को लेकर रोड़ा अटका दिया है। इस वजह से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के सामने संकट गहराता जा रहा है और फाइटर जेट्स की तय डिलीवरी समय पर नहीं हो पा रही है।
Tejas Fighter Jet Delivery

अमेरिका ने इंजन सप्लाई में किया खेल

तेजस में इस्तेमाल होने वाले GE-404 इंजन की सप्लाई अमेरिका से होती है। हाल ही में ऐसी खबरें सामने आई हैं कि अमेरिका ने इन इंजनों की समय पर डिलीवरी रोक दी है। माना जा रहा है कि कुछ तकनीकी और कूटनीतिक कारणों से अमेरिका ने यह कदम उठाया है। लेकिन भारत के रक्षा विशेषज्ञ इसे रणनीतिक दबाव की कोशिश भी मान रहे हैं।

भारत और अमेरिका के बीच रक्षा संबंध पिछले कुछ सालों में मजबूत हुए हैं। दोनों देशों ने कई रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। लेकिन तेजस इंजन सप्लाई में अड़चन आने से यह सवाल उठ रहा है कि क्या अमेरिका जानबूझकर भारत की आत्मनिर्भर रक्षा परियोजना की गति को धीमा करना चाहता है।

HAL के सामने बड़ा संकट

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने भारतीय वायुसेना को समय पर तेजस जेट्स सौंपने का वादा किया था। इस प्रोजेक्ट के तहत एयरफोर्स को दर्जनों तेजस फाइटर जेट्स मिलने हैं। लेकिन इंजन की कमी की वजह से HAL तय टाइमलाइन का पालन करने में असमर्थ हो सकता है।

तेजस की डिलीवरी में देरी का सीधा असर भारतीय वायुसेना की क्षमता पर पड़ेगा। भारत के पड़ोसी देशों, खासकर चीन और पाकिस्तान की ओर से लगातार खतरे बढ़ रहे हैं। ऐसे में तेजस की समय पर तैनाती बेहद जरूरी है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इंजन सप्लाई में यही हाल रहा, तो भारत को अपने डिफेंस शेड्यूल पर पुनर्विचार करना पड़ेगा।

भारत की रणनीतिक चिंता

तेजस फाइटर जेट सिर्फ एक विमान नहीं, बल्कि भारत की तकनीकी ताकत और रक्षा स्वदेशीकरण की पहचान है। इस प्रोजेक्ट के जरिए भारत ने दुनिया को यह संदेश देने की कोशिश की कि वह रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है।

लेकिन इंजन जैसे अहम हिस्से के लिए अमेरिका पर निर्भरता अब रणनीतिक चिंता का विषय बनती जा रही है। अगर सप्लाई चेन में बार-बार रुकावट आती रही, तो भारत की आत्मनिर्भरता की राह और लंबी हो सकती है।

समाधान क्या हो सकता है?

विशेषज्ञों का मानना है कि इस संकट से निकलने के लिए भारत को दो बड़े कदम उठाने होंगे।

  1. घरेलू इंजन डेवलपमेंट को गति देना – भारत पहले से स्वदेशी इंजन विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है। DRDO और अन्य एजेंसियों को इस प्रोजेक्ट को और तेज करना होगा।
  2. वैकल्पिक सप्लाई चेन बनाना – केवल अमेरिका पर निर्भर रहने के बजाय भारत को यूरोप, रूस या अन्य देशों से भी विकल्प तलाशने होंगे। इससे भविष्य में किसी एक देश के दबाव का असर नहीं पड़ेगा।

भविष्य की दिशा

भारत सरकार लगातार यह संदेश देती रही है कि रक्षा क्षेत्र में “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” केवल नारे नहीं, बल्कि एक मिशन है। तेजस प्रोजेक्ट में आ रही रुकावटें इस मिशन की अहमियत को और बढ़ा देती हैं। अगर भारत अपने इंजन प्रोजेक्ट्स को मजबूत करता है और वैकल्पिक सप्लाई चेन बनाता है, तो आने वाले समय में इस तरह की दिक्कतों से बचा जा सकेगा।

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