हमारे शरीर को हेल्दी बनाने में कई सारे विटामिन्स और मिनरल्स अहम भूमिका निभाते हैं। विटामिन-डी इन्हीं में से एक है, जिसे आमतौर पर “सनशाइन विटामिन” के नाम से भी जाना जाता है। यह विटामिन हमारी पूरी हेल्थ के लिए बेहद जरूरी होता है। हालांकि, बावजूद इसके भारतीयों में खासकर महिलाओं में इसकी काफी कमी देखने को मिलती है। शरीर में इसकी कमी होने पर कई तरह के लक्षण नजर आते हैं, लेकिन महिलाएं अक्सर कामकाज और अन्य जिम्मेदारियों के चलते इन्हें अनदेखा कर देती हैं।
शरीर में विटामिन-डी की कमी होने से कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं, जिसे पूरा न करने पर गंभीर परिणाम भी भुगतने पड़ सकते हैं। ऐसे में आज इस स्टोरी में हम आपको महिलाओं में विटामिन-डी की कमी के ऐसे ही कुछ लक्षणों के बारे में बताने वाले हैं, जिसे आपको भूलकर भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। विटामिन डी की कमी से बाल झड़ने लगते हैं। बालों का अचानक झड़ना या पतला होना विटामिन डी की कमी का एक प्रमुख लक्षण हो सकता है।
हालांकि, लोग हार्मोनल बदलाव या स्ट्रेस इसके लिए दोषी ठहराते हैं, लेकिन विटामिन डी की कमी बालों के पोर्स कमजोर हो सकते हैं, जिससे यह झड़ने लगते हैं। विटामिन डी कैल्शियम के अब्जॉर्प्शन में मदद करता है, जिससे हड्डियों की डेंसिटी और इसकी मजबूती प्रभावित होती है। ऐसे में शरीर में इस विटामिन की कमी होने पर ऑस्टियोपोरोसिस भी हो सकता है। यूं तो इसके लक्षण मुश्किल से भी नजर आते हैं, लेकिन मामूली फ्रैक्चर, हड्डियों में हल्का दर्द या अकड़न खासकर सुबह के समय इस विटामिन की कमी का संकेत हो सकता है।
अगर आपको लगातार बिना वजह थकान बनी रहती है, तो यह बिल्कुल भी आम नहीं है। यह संकेत है कि आपके शरीर में विटामिन-डी की कमी हो रही है। आमतौर पर लोग इसे ज्यादा काम या नींद की कमी से जोड़कर देखते हैं, लेकिन असल में यह शरीर में कम होते विटामिन-डी की कमी का लक्षण होता है। डिप्रेशन, स्ट्रेस या मूड स्विंग्स भी महिलाओं के शरीर में विटामिन-डी की कमी को दर्शाता है। दरअसल, विटामिन डी रिसेप्टर्स ब्रेन में पाए जाते हैं और यह सेरोटोनिन जैसे केमिकल को प्रभावित करता है, जिसे मूड से जुड़े होते हैं।
इतना ही नहीं विटामिन डी की कमी से कॉग्नेटिव फंक्शन खराब हो सकता है और मेमोरी लॉस हो सकती है। विटामिन डी शरीर में हार्मोनल संतुलन बनाए रखता है। ऐसे में इसकी कमी होने पर मेंस्ट्रुअल साइकिल प्रभावित हो सकता है और पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) जैसी कंडीशन्स हो सकती है, जो अप्रत्यक्ष रूप से इनफर्टिलिटी का कारण बनती है। इसके अलावा, विटामिन डी एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे सेक्स हार्मोन के प्रोडक्शन में मदद करता है।