अपने दैनिक जीवन में वास्तु शास्त्र के नियमों का ध्यान रखने से जीवन में पॉजीटिव एनर्जी का प्रवाह बना रहता है। वहीं इन नियमों की अनदेखी करने पर वास्तु दोष का भी सामना करना पड़ सकता है। वास्तु शास्त्र में घर के हर हिस्से को जरूरी माना गया है। इसी तरह घर की सीढ़ियों में भी वास्तु नियमों का जरूरी रूप से ध्यान रखना चाहिए।
वास्तु के अनुसार, सीढ़ियों को हमेशा दक्षिण-पश्चिम में बनवाना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि सीढ़ी को उत्तर दिशा से शुरू होकर दक्षिण दिशा में खत्म करना चाहिए। भूलकर भी ईशान कोण में सीढ़ी नहीं बनवानी चाहिए। इसी के साथ घर के ब्रह्म स्थान यानी कि घर के बीचों-बीच सीढ़ी नहीं बनवाना चाहिए। ऐसा करने से भी वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है।
सीढ़ियों के नीचे मंदिर, स्टोर रूप या फिर शौचालय नहीं बनवाना चाहिए और न ही जूते-चप्पल या बेकार सामान रखना चाहिए। इसी के साथ सीढ़ियों के नीचे का स्थान खुला और साफ-सुथरा होना चाहिए। वास्तु के अनुसार, कभी भी घर की सीढ़ियों का निर्माण अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए। इस बातों का ध्यान न रखने पर भी वास्तु दोष पैदा हो सकता है।
यदि आपने अपने घर की सीढ़ियां वास्तु के अनुसार नहीं बनवाई हैं, तो ऐसे में आप बिना तोड़-फोड़ किए भी वास्तु दोष से बच सकते हैं। इसके लिए आप सीढ़ियों के बीच में एक घंटी या शीशा लगा सकते हैं। इसी के साथ वास्तु में सीढ़ी के दोनों छोरों पर गेट बनवाना भी शुभ माना गया है। वास्तु दोष से बचाव के लिए आप सीढ़ी के नीचे कपूर को एक डिबिया में डालकर रख दें। ध्यान रखें कि उस डिबिया को बंद न करें, ताकि कपूर की महक से वातावरण में पॉजिटिविट एनर्जी का संचार हो सके।