उज्जैन। विक्रमादित्य वैदिक एप के लॉन्च से पहले ही यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह एप विभिन्न पंचांगों में चल रहे मतभेद को खत्म कर पाएगा? इस पर विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने कहा कि मतभेद वास्तविक रूप से भारतीय कालगणना परंपरा के उज्जैन से बाहर जाने के कारण उत्पन्न हुए हैं।
तिवारी ने बताया कि पिछले 200-300 सालों में भारतीय कालगणना को उज्जैन से हटाकर ग्रीनविच जैसे स्थानों पर ले जाया गया, जिससे अलग-अलग शहरों में रहने वाले ज्योतिषियों ने अपनी गणना विधि अपनाई। इसी कारण पंचांगों में मतभेद उत्पन्न हो गए।
उन्होंने यह भी कहा कि उज्जैन के कालगणना केंद्र को ध्वस्त कर दिए जाने के बाद स्वतंत्र पंचांग तैयार होने लगे, जिससे समय की गणना में भिन्नता आने लगी। हालांकि, एप का उद्देश्य समय और कालगणना की सटीकता को उजागर करना है, लेकिन यह विभिन्न पंचांगों में मतभेद को समाप्त नहीं कर सकेगा।