हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। यह तिथि भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन भक्त अत्यधिक भक्ति के साथ पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। विनायक चतुर्थी हर माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस बार यह पौष माह के दौरान 3 जनवरी, 2025 यानी आज मनाई जा रही है। माना जाता है कि इस दिन पूजा के दौरान विनायक चतुर्थी व्रत कथा का पाठ भी जरूर करना चाहिए, क्योंकि इसके बिना व्रत अधूरा माना जाता है, तो आइए यहां पढ़ते हैं।
एक समय की बात है नदी के तट पर देवी पार्वती भगवान शिव के साथ बैठी थीं। तभी उन्होंने चौपड़ खेलने की इच्छा प्रकट की, लेकिन उनके अलावा कोई तीसरा नहीं था, जो चौपड़ के खेल के दौरान हार और जीत का निर्णय कर सके। इस स्थिति में भगवान शंकर ने और देवी पार्वती ने एक मिट्टी का बालक बनाया और उसमें प्राण का संचालन किया। ताकि खेल में हार-जीत का सही फैसला हो सके। इसके पश्चात पार्वती माता लगातार तीन से चार बार विजयी हुईं, लेकिन उस मिट्टी के बालक ने शिव जी को विजयी घोषित कर दिया।
इससे उन्होंने कहा कि चतुर्थी के दिन कुछ कन्याएं पूजन के लिए आती हैं, उनसे व्रत और पूजा की विधि पूछना। बालक ने ठीक ऐसा ही किया और उसकी पूजा से गौरी पुत्र गणेश खुश हो जाते हैं और उसकी जीवन के सभी मुश्किलों का अंत कर देते हैं। इससे बालक अपना जीवन फिर से खुशी-खुशी व्यतीत करने लगता है।देवी पार्वती को क्रोध आ गया और उन्होंने उस बालक को लंगड़ा बना दिया। तब बालक को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने माफी मांगी, लेकिन मां पार्वती ने कहा कि श्राप अब वापस नहीं लिया जा सकता।इसलिए आप एक उपाय के जरिए इस श्राप से मुक्ति पा सकते हैं।