तुलसी विवाह पर्व को हिंदू धर्म में बेहद शुभ माना जाता है। यह हर साल कार्तिक माह में आयोजित किया जाता है। इस दिन पर लोग भगवान शालिग्राम जी के साथ मां तुलसी का विवाह करवाते हैं। इस दिन को कुछ ही दिन शेष रह गए हैं तो आइए जानते हैं कि आखिर श्री हरि ने देवी तुलसी से विवाह क्यों किया था?
- तुलसी विवाह हिंदुओं में काफी महत्वपूर्ण माना गया है।
- तुलसी विवाह को लेकर लोगों को अपनी – अपनी मान्यताएं हैं।
- यह हर साल कार्तिक माह में आयोजित किया जाता है।
तुलसी विवाह पर्व का सनातन धर्म में बहुत महत्व है। यह शुभ दिन भगवान विष्णु और देवी तुलसी के मिलन का प्रतीक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस शुभ अवसर पर लोग बेहद उत्साह और भक्ति के साथ कठिन व्रत का पालन करते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि तुलसी पूजन करने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में सदैव के लिए धन की देवी मां लक्ष्मी का वास रहता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल यह महापर्व 13 नवंबर को मनाया जाएगा, तो चलिए जानते हैं कि आखिर किस वजह से नारायण को मां तुलसी से विवाह करना पड़ा था?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय की बात है जालंधर नाम के राक्षस से परेशान देवतागण भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उन्हें अपनी सारी समस्याओं से अवगत कराया। जिसका हल यह निकला कि यदि जालंधर की पत्नी वृंदा के सतीत्व को नष्ट कर दिया जाए, तो जालंधर का अंत आसानी से किया जा सकता है। वृंदा के पतिव्रत धर्म को तोड़ने के लिए नारायण ने जालंधर का रूप धारण कर वृंदा को स्पर्श कर दिया, जिस कारण वृंदा का पतिव्रत धर्म खंडित हो गया और जालंधर की सारी शक्तियां क्षीण हो गई और शिव जी ने उस असुर का वध कर दिया।