बच्चे पेरेंट्स को काम नहीं करने देते, यह शिकायत हमेशा से रहती है. ऐसी स्थिति में पेरेंट्स बच्चों को स्मार्ट फोन पकड़ाकर, यू-ट्यूब या फिर कार्टून या अन्य वीडियोज लगा दे देते हैं. पेरेंट्स सोचते हैं ऐसा करने से बच्चा व्यस्त रहेगा, उनका काम में कोई डिस्टर्वेंस नहीं होगा. मगर, इस दौरान आप यह नहीं देखते कि आपने बच्चे को जो लगाकर दिया है, वह उसी चीज को देख रहा है या फिर स्क्रोल करते-करते वह, क्या-क्या देख रहा है.
अगर, आप भी ऐसा ही कर रहे हैं तो सावधान! इससे उसकी आंखों और दिमाग दोनों को नुकसान पहुंचा रहा है. कैसे जानिए.
- 0 से 2 साल के बच्चों को बिल्कुल भी स्मार्टफोन इस्तेमाल न करने दें. इस उम्र के बच्चों को टीवी से भी दूर रखें. इस उम्र में बच्चा जो कुछ भी देख रहा है, वह उसे अपने दिमाग में बैठा लेता है.
- 2 से 5 साल के बच्चों को पूरे दिन में सिर्फ 1 घंटे स्मार्टफोन इस्तेमाल करने के लिए दिया जा सकता है, वह भी पेरेंट्स की निगरानी में. यह पेरेंट्स को देखना है कि बच्चे इस दौरान कोई भी हिंसा वाले वीडियो न देखें. सिर्फ एजुकेशनल कटेंट वाले वीडियोज ही देखें. बच्चों को चैनल फिक्स करके दें. समय भी फिक्स कर दें.
- 5 साल की उम्र के बाद बच्चों को स्मार्टफोन बिल्कुल भी न दें, क्योंकि वे स्कूल जाने लगते हैं. उन्हें क्रिएशन के कामों में लगाएं. या फिर स्कूल, पार्क में ले जाएं. आउटडोर गेम्स पर फोकस करवाएं. इससे उनकी फिजिकल एक्टिविटी तो बढ़ेगी ही, साथ ही दिमाग की एक्सरसाइज भी बढ़ेगी.
सालों तक बच्चों को मोबाइल देने के बाद, अब पेरेंट्स भी यह रिग्रेट कर रहे हैं कि उनसे गलती हो गई. मगर, सवाल यह है कि आखिर बच्चों की मोबाइल की लत को कैसे दूर करें? विशेषज्ञ कहते हैं कि एक दम से कोई भी आदत नहीं छुटती, इसके लिए धीरे-धीरे बदलाव लगाने की कोशिश करें. बच्चों के सामने आप भी फोन का इस्तेमाल कम से कम करें. बच्चों के सामने सिर्फ कॉल पर बात करें, ताकि उनके सामने यह संदेश जा सके कि मोबाइल सिर्फ एक-दूसरे से बात करने के लिए है. खाली समय में बच्चों के साथ घर के कामों में मदद लें. आप बच्चे साथ में खेल रहे हैं या ड्राइंग एक्टिविटी कर रहे हैं, तो सेल्फी लेने के लिए मोबाइल का यूज न करें.