करवा चौथ सुहागिनों का सबसे महत्वपूर्ण व्रत है. सुहागिनें पति की लंबी आयु,सुख-समृद्धि के लिए इस व्रत को निर्जला रखती हैं. रात को चांद को देखकर उपवास खोलती हैं. इस साल ये व्रत 20 अक्टूबर को रखा जाएगा. इस आर्टिकल में हम ये जानेंगे, किन महिलाओं को करवा चौथ का व्रत रखना चाहिए, किन्हें नहीं रखना चाहिए.
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में कई बदलाव होते हैं. इन्हें हार्मोनल चेंजेस कहा जाता है. करवा चौथ इस दौरान व्रत रखना न सिर्फ गर्भवती बल्कि उनकी कोख में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. व्रत निर्जला रखा जाता है, यानी पानी तक नहीं पिया जाता. मगर, इस अवस्था में पोषण आहार बेहद जरूरी है. गर्भावस्था के दौरान खाली पेट रहना, पानी न पीना… मां-शिशु दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है.
ऐसी महिलाएं जो बच्चों को स्तनपान करवाती हैं, उन्हें भी यह कठिन व्रत नहीं रखना चाहिए. इसकी स्पष्ट वजह है कि मां से ही बच्चे को पोषण मिलता है. अगर, मां ही पोषण नहीं ले रही है तो बच्चे को कैसे मिलेगा. बच्चे में पोषण की कमी हो सकती है.
जिन महिलाओं को डायबिटीज यानी शुगर है, उन्हें भी व्रत नहीं करना चाहिए. उपवास में ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित नहीं रहता.शुगर लेवल ज्यादा कम होना भी बहुत खतरनाक हो सकता है.
किडनी की बीमारी- जिन महिलाओं को किडनी से जुड़ी समस्या है, वे भी व्रत न रखें. पूरे दिन बिना पानी के रहने की वजह से किडनी पर गहरा प्रभाव पड़ता है. इसकी वजह से किडनी से जुड़ी समस्याएं गंभीर हो सकती हैं.
जिन महिलाओं को कैंसर या कोई अन्य क्रॉनिक बीमारी है, वे भी व्रत न रखें. उपवास करने की वजह से उनकी सेहत पर प्रभाव पड़ सकता है. ऐसी स्थिति में दवा न लेने की भूल तो बिल्कुल भी न करें. इसके साथ ही जिन महिलाओं को पेट से जुड़ी कोई भी समस्या है, या फिर हार्ट, बीपी की समस्या है वे भी इस व्रत को एवाइड करें. जिन महिलाओं का वजन ज्यादा कम हो या एनीमिया जैसी कोई डेफिशिएंसी डिजीज हो, उनके लिए भी उपवास करना ठीक नहीं है.