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Thursday, December 26, 2024

क्यों महिलाओं में ज्यादा होता है Depression का खतरा एक्सपर्ट से जानें इसकी वजह

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शारीरिक एवं मानसिक संतुलन को बिगाड़ने के दोष के कारण अवसाद यानी डिप्रेशन  को एक गंभीर रोग माना गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि पुरुषों की तुलना में यह महिलाओं को दोगुणा आक्रांत करता है इसलिए यह न केवल एक व्यक्तिगत एवं पारिवारिक समस्या है बल्कि इसके व्यापक सामाजिक प्रभाव भी हैं। आइए डॉ. आर. वात्स्यायन आयुर्वेदाचार्य राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ से जानें इसके बारे में।

  1. डिप्रेशन का शिकार होने की संभावना महिलाओं में ज्यादा रहती है।
  2. महिलाओं में डिप्रेशन के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं।
  3. कुछ बातों का ख्याल रखकर इससे बचाव किया जा सकता है।

महिलाएं अक्सर अवसाद के गहरे सागर में डूबी नजर आती हैं। यह मानसिक स्वास्थ्य की एक गंभीर समस्या है जो न केवल महिलाओं, बल्कि पूरे समाज को प्रभावित करती है। महिलाओं में अवसाद के लक्षण पुरुषों के लक्षणों के समान ही हो सकते हैं, जैसे कि उदासी, नींद न आना, भूख में बदलाव, थकान और एकाग्रता में कमी। लेकिन क्या महिलाओं में अवसाद के और भी कारण हैं? बिल्कुल! महिलाओं के शरीर में हार्मोन का असंतुलन, मासिक धर्म की समस्याएं, गर्भावस्था, प्रसव के बाद की अवस्था, बांझपन और रजोनिवृत्ति जैसी स्थितियां अवसाद को और बढ़ा सकती हैं। इन जैविक कारकों के अलावा, सामाजिक और सांस्कृतिक दबाव भी महिलाओं को अवसाद की चपेट में ला सकते हैं। यह समस्या किसी विशेष नस्ल, रंग, जाति या आर्थिक स्थिति से बंधी नहीं है। हर महिला, चाहे वह किसी भी वर्ग से आती हो, अवसाद का शिकार हो सकती है।

महिलाओं को जीवन के विभिन्न कालखंडों में कई तरह का तनाव झेलना पड़ता है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि जिन महिलाओं के रक्त संबंध में डिप्रेशन की प्रवृत्ति मौजूद है अथवा जिनमें स्वाभाविक तौर पर मूड बदलने की समस्या रहती है या जिन महिलाओं में असुरक्षा का भाव होता है या फिर जिन्हें किसी मित्र और सगे-संबंधी की मृत्यु या अप्रिय अवस्थाओं का सामना करना पड़ता है, उन्हें अवसाद होने की प्रबल आशंका रहती है। इसी प्रकार बनते-बिगड़ते रिश्ते और यौन संबंधी समस्याएं भी अवसाद का कारण बन जाती हैं।

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