आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग इतने मसरूफ हो गए हैं कि अपनी सेहत पर ध्यान नहीं दे पाते। साथ ही, बढ़ती उम्र के साथ भी कई बीमारियां भी शरीर को घर बना लेती हैं। ऐसे में बहुत-से लोगों की कमाई का बड़ा हिस्सा इलाज में ही खर्च हो जाता है। इस मुसीबत से बचने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस का सहारा लेना काफी अच्छा विकल्प रहता है।
कई बीमारियों के इलाज में काफी रकम खर्च होती है। हेल्थ इंश्योरेंस उसकी भरपाई करके आपको वित्तीय परेशानी से बचा सकता है। इससे आप मानसिक तनाव जैसी दिक्कतों से भी बच सकते हैं, क्योंकि आप जानते हैं कि आपके पास चिकित्सा खर्च के लिए जरूरी रकम है। इससे आपको वित्तीय आजादी भी मिलती है। आप अपनी बचत को दूसरे जरूरी कामों में खर्च कर सकते हैं।
- क्लेम के साथ जरूरी दस्तावेज नहीं जमा करते हैं या उसमें कोई गलती है, तो क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।
- अगर आपको पहले से कोई बीमारी है, तो उस क्लेम को भी बीमा कंपनियां अप्रूव नहीं करती हैं।
- इंश्योरेंस क्लेम को सबमिट करने की एक समयसीमा होती है, इसमें देरी करने पर भी दिक्कत होती है।
- अगर क्लेम नॉन-मेडिकल से जुड़ा है, जैसे कि दुर्घटना या आत्महत्या का प्रयास, तो क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।
- अगर इंश्योरेंस क्लेम पॉलिसी की शर्तों के अनुसार नहीं है, तो भी कंपनी उसे रिजेक्ट कर सकती है।
- इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय नियम और शर्तों को ध्यान से पढ़ें।
- पॉलिसी में क्या कवर है और क्या नहीं, इसकी जानकारी लें।
- पहले से कोई बीमारी है, तो उसका भी खुलासा करें।
- क्लेम करते समय सभी जरूरी दस्तावेजों को जमा करें।
- क्लेम जमा करने की समय सीमा का पालन करें।
- पॉलिसी की अवधि समाप्त होने से पहले रिन्यू करें।
- अगर कोई उलझन है, तो बीमा एजेंट से जानकारी लें।