सनातन धर्म में हनुमान जी को सबसे अधिक शक्तिशाली देवता माना जाता है। मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है। इस दिन लोग बजरंगबली विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही शुभ फल की प्राप्ति के लिए व्रत भी रखते हैं। देश में हनुमान जी पूजा-अर्चना अलग-अलग रूपों की जाती है, जिनका अपना-अपना विशेष महत्व है। क्या आप जानते हैं कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी ने शेर का अवतार क्यों लिया था? अगर नहीं पता, तो चलिए आपको इस आर्टिकल में बताएंगे इससे जुड़ी कथा के बारे में।
पौराणिक कथा के अनुसार, नरसिंह रूप जगत के पालनहार भगवान विष्णु का रूद्र अवतार है। बजरंगबली को भगवान नरसिंह अवतार से शक्ति मिली थी। हनुमान जी ने भगवान नरसिंह की उपासना और उनकी शक्ति को दिखाने के लिए शेर का रूप लिया था, जिसमें हनुमान जी मानव शरीर और शेर के चेहरे के रूप दिखते हैं। उनका यह रूप श्रीहरि के प्रति भक्ति को प्रदर्शित करता है।
रामायण के अनुसार, एक बार अहिरावण भगवान श्रीराम और लक्ष्मण को बेहोश कर पाताल लोक लेकर चला गया था। उसने वहां पर पांच दिशाओं में दीपक जला रखे थे। उसे वरदान मिला हुआ था कि जब तक कोई पांचों दीपक एक साथ नहीं बुझएगा, तो अहिरावण का वध नहीं होगा। ऐसे में हनुमान जी ने पंचमुखी अवतार लिया और पांचों दीपक को बुझा दिया, जिसके बाद अहिरावण का अंत किया। इसके बाद भगवान श्रीराम और लक्ष्मण उसके बंधन से मुक्त हुए।
वानर मुख – पंचमुखी अवतार में बजरंगबली का मुख पूर्व दिशा की तरफ है, जिसे वानर मुख कहा जाता है। गरुड़ मुख -पश्चिम दिशा वाला मुख गरुड़ मुख के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह मुख जातक के दुख और संकट कम करता है। वराह मुख्य – उत्तर दिशा का मुख वराह मुख्य कहलाता है।
मान्यता है कि वराह मुख्य की उपासना करने से इंसान को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। नृसिंह मुख – बजरंगबली का दक्षिण दिशा वाला मुख नरसिंह मुख कहलाता है। इस मुख की पूजा करने से तनाव और सभी तरह की परेशानियों से छुटकारा मिलता है। अश्व मुख – पांचवा मुख आकाश की तरफ है, जिसे अश्व मुख के नाम से जाना जाता है। इस मुख की पूजा करने से इंसान की सभी मनोकामना जल्द पूरी होती है।