रत्न ज्योतिष’ ज्योतिष शास्त्र का ही एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें प्रत्येक रत्न के लाभ बताए गए हैं। अगर आप एक अच्छे ज्योतिषी की सलाह पर इस रत्नों को धारण करते हैं, तो इससे निश्चित रूप से आपको जीवन में लाभ देखने को मिल सकता है। लेकिन रत्न धारण करते समय कुछ नियमों का भी ध्यान रखा जाना जरूरी है, तभी आप इसका लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
मिलते हैं ये फायदे
पुखराज बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। इस प्रकार इस रत्न को धारण करने से जातक की कुंडली में बृहस्पति ग्रह की स्थिति मजबूत होती है। साथ ही इससे जातक के लिए सुख-समृद्धि के योग भी बनने लगते हैं। अगर किसी जातक के विवाह में अड़चन आ रही हैं, तो इसके लिए भी उसे पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती है।
धारण करने के नियम
पुखराज रत्न को मुख्य रूप से कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति को मजबूत करने के लिए पहना जाता है। इसी के साथ धनु और मीन राशि के जातकों के लिए भी पुखराज धारण करना शुभ होता है, क्योंकि इन राशियों के ग्रह स्वामी बृहस्पति ही हैं। इस हमेशा सोने की अंगूठी में जड़वाकर ही पहनना चाहिए।
साथ ही इसे तर्जनी उंगली में धारण करना ज्यादा अच्छा माना गया है। पुखराज धारण करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिष को अपनी कुंडली दिखाने के बाद ही इसे पहनना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि बार-बार इसे न उतारें, वरना इसका प्रभाव कम होने लगता है।
धारण करने की विधि
सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद दूध, गंगाजल, शहद, घी और शक्कर को मिलाकर इसमें पुखराज वाली अंगूठी को शुद्ध करें। इसके बाद इसे भगवान विष्णु के चरणों में अर्पित करें और 108 बार “ॐ ब्रह्म ब्रह्स्पतिये नम:” मंत्र का जप करें। इसके बाद ही पुखराज धारण करें। इसे धारण करने के लिए किसी भी माह का शुक्ल पक्ष का गुरुवार सबसे अच्छा माना गया है।