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Tuesday, February 4, 2025

सरकार अकेले पूरा नहीं कर सकतीं इन्फ्रास्ट्रक्चर की सभी जरूरतें, प्राइवेट सेक्टर का साथ जरूरी

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विकसित भारत के लिए सशक्त बुनियाद का ढांचा तो तैयार है, लेकिन यह निर्माण केवल सरकार के सहारे नहीं होने वाला। यह नींव इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास है। पिछले पांच साल में सरकार के खर्च में 3.3 गुना वृद्धि के बावजूद इन्फ्रास्ट्रक्चर के मोर्चे पर विकसित देशों जैसी कामयाबी हासिल करने के लिए जरूरी है कि निजी निवेशक आगे आएं।

सर्वे में यह स्वीकारोक्ति भी है कि सरकार के अलग-अलग स्तरों पर बजट की कुछ बाध्यकारी सीमाएं हैं यानी सरकारी खर्च को उस सीमा से ऊपर नहीं ले जाया जा सकता। सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए कई महत्वपूर्ण सेक्टरों में निजी निवेश की रफ्तार तेज करने की जरूरत है, क्योंकि यह साफ है कि सरकार अकेले सभी जरूरतें पूरी नहीं कर सकती।

लक्ष्य से कम राशि जुटाई जा सकी निजी निवेश से

सर्वे का यह विचार इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वित्तीय वर्ष 2022 से 2024 के बीच निजी निवेश से 4.30 लाख करोड़ रुपये अर्जित करने के लक्ष्य के मुकाबले 3.86 लाख करोड़ ही जुटाए जा सके। प्रोजेक्टों के बारे में सोचने के लिए निजी निवेशकों की क्षमता बढ़ाई जानी चाहिए। जोखिम को लेकर उनका भरोसा बढ़ना चाहिए और इसी के साथ लाभ की हिस्सेदारी को लेकर भी उनका विश्वास मजबूत होना चाहिए।

पोर्ट डेवलपमेंट मोदी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता

सर्वे में यह जरूरत भी रेखांकित की गई है कि कांट्रैक्ट मैनेजमेंट, विवादों के समाधान और प्रोजेक्ट बंद होने को लेकर तस्वीर साफ होनी चाहिए तभी निजी निवेशकों का भरोसा मजबूत होगा। मोदी सरकार ने सड़क निर्माण, रेल सेवाओं-सुविधाओं के विकास एयरपोर्टों के विस्तार और उनकी संख्या बढ़ाने के साथ ही पोर्ट डेवलपमेंट को शीर्ष प्राथमिकता पर रखा है।

मध्यवर्ग की जरूरतें सबसे अधिक

इससे विकास की रफ्तार तेज हुई है और तेजी से उभरते मध्य वर्ग की अपेक्षाएं भी पूरी हुई हैं, लेकिन यह कहा जाता है कि इन्फ्रा विकास से सामान्य रूप से सबसे ज्यादा लाभान्वित होने वाले मध्य वर्ग की जरूरतें इससे कहीं अधिक हैं। विकसित भारत की संकल्पना पूरी होने की सबसे बड़ी कसौटियों में दुनिया के प्रमुख देशों को टक्कर देने लायक इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण भी शामिल है।

सर्वे में कहा गया है कि सरकार के प्रयासों के साथ पूरी गंभीरता से इस तथ्य को स्वीकार करना होगा कि इन्फ्रा परियोजनाओं के लिए सार्वजनिक-निजी सहभागिता यानी पीपीपी माडल का फलना-फूलना भी उतना ही जरूरी है। यानी निजी क्षेत्र भी सरकार के साथ कदमताल करे।

जरूरतें बढ़ेंगी तो प्रयास भी बढ़ाने होंगे

यह साथ कार्यक्रमों और परियोजनाओं की योजना बनाने से लेकर उनके लिए पैसा जुटाने, निर्माण, रखरखाव, धन अर्जित करने और प्रभाव का आकलन करने तक नजर आना चाहिए। सर्वे में कहा गया है कि जरूरतें ढेर सारी हैं, प्रयास भी बढ़ाने होंगे। एकीकृत मल्टी मोडल ट्रांसपोर्ट और मौजूदा ढांचे का आधुनिकीकरण हमारी क्षमता बढ़ाएगा और

लास्ट माइल कनेक्टिविटी का लक्ष्य पूरा होगा। आपदाओं को झेलने लायक शहरीकरण, सार्वजनिक परिवहन, विरासत वाले स्थलों का संरक्षण और उनका पुनरुद्धार, पर्यटक स्थलों का विकास तथा ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी समेत पूरे सार्वजनिक ढांचे में सुधार जैसी अहम जरूरतों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।

सर्वे में दिया ये सुझाव

नेट जीरो के लिए हमारी प्रतिबद्धता को देखते हुए रिन्यूबल एनर्जी की क्षमताओं पर जोर होना चाहिए। सर्वे में यह सुझाव भी दिया गया है कि महत्वपूर्ण इन्फ्रा परियोजनाओं में निजी क्षेत्र का भरोसा बढ़ाने के लिए अलग-अलग स्तर पर सरकारों, वित्तीय बाजार के प्रमुख खिलाडि़यों, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट एक्सपर्ट और योजनाकारों का एक मंच पर आना जरूरी है।

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