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Sunday, December 22, 2024

अपने बच्चों के व्यवहार को बेहतर बनाने के लिए हर पेरेंट को जरूर सिखानी चाहिए ये बातें

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बच्चों का अच्छा व्यवहार उनके माता-पिता की परवरिश और उनकी कुशलता का सबूत होता है। माता-पिता की दी गई धैर्य, अनुशासन और मूल्यों की शिक्षा बच्चों के व्यवहार में झलकती है। जब बच्चे दूसरों के साथ सम्मान, प्यार और सहयोग का प्रदर्शन करते हैं, तो यह परिवार में दिए गए संस्कार और नैतिक मूल्यों को दिखाता है।

यह स्पष्ट करता है कि बच्चों को सही दिशा में मार्गदर्शन और प्रेरणा दी गई है, जिससे वे समाज में एक तरह का पॉजिटिव असर छोड़ते हैं। आइए जानते हैं कि बच्चों के व्यवहार को अच्छा बनाने और सुधार लाने के लिए माता-पिता क्या कर सकते हैं। खुद ही पॉजिटिव रोल मॉडल बनें- बच्चे माता-पिता की गतिविधियों और आचरण को देखते हैं और उनसे सीखते हैं। इसलिए यदि आप अच्छा व्यवहार, ईमानदारी और धैर्य का उदाहरण देंगे, तो बच्चे भी वही अपनाएंगे।

  • भावनाओं को समझें- बच्चों की बातों को ध्यान से सुनें और उनकी भावनाओं को महत्व दें। उनके सवालों और परेशानियों को गंभीरता से समझने से वे आपसे जुड़ाव महसूस करेंगे और आपसे कभी कोई बात छुपाने की नहीं सोचेंगे।
  • साफ-सुथरे व्यावहारिक नियम बनाएं- घर में अनुशासन और शिष्टाचार बनाए रखने के लिए बच्चों को स्पष्ट नियम बताएं। इन नियमों का पालन माता-पिता को भी करना चाहिए। इससे संतुलन बना रहता है और बच्चा इसे मानता और फॉलो भी करता है।
  • प्रशंसा और प्रोत्साहन दें- बच्चे के अच्छे कामों और कोशिशों की तारीफ करें। इससे बच्चों में आत्मविश्वास और अन्य कामों को और बेहतर तरीके से करने की प्रेरणा बढ़ेगी और वे आगे बढ़ेंगे।
  • सजा के बजाय सिखाएं- गलतियों पर गुस्सा करने के बजाय, उन्हें समझाएं कि क्या गलत था और क्यों। उन्हें सीखने का मौका दें। इससे उनमें सुधार करने की भावना जागेगी।
  • नियमित संवाद करें- बच्चों के साथ रोज बातचीत करें। उनके विचार, दिनचर्या और समस्याओं में रुचि दिखाएं। इससे वे आपके करीब रहेंगे और बात कहने से हिचकिचाएंगे नहीं।
  • जिम्मेदारी सिखाएं- छोटी-छोटी जिम्मेदारियां देकर बच्चों को आत्मनिर्भर बनाएं। जैसे कि अपने खिलौने समेटना या घर के कामों में छोटी-छोटी मदद करना।
  • इमोशनल स्पोर्ट दें- मुश्किल समय में उनके साथ खड़े रहें और पॉजिटिव सोच विकसित करने में मदद करें।
  • अच्छा माहौल बनाएं- घर का वातावरण ऐसा रखें जहां बच्चे सुरक्षित और खुश महसूस करें। चीखने-चिल्लाने से बचें और बातचीत से समस्या हल करें।
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