ऑनलाइन फूड डिलीवर करने वाली स्विगी का आईपीओ बुधवार यानी 6 नवंबर 2024 को खुलेगा। इसे 8 नवंबर 2024 तक सब्सक्राइब किया जा सकेगा। आईपीओ के लिए प्राइस बैंड 371 से 390 रुपये प्रति शेयर है। इसकी लिस्टिंग 13 नवंबर को होगी। आइए जानते हैं कि इसका आईपीओ कितना बड़ा है और इसे ग्रे मार्केट में कैसा रिस्पॉन्स मिल रहा है।
फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म स्विगी का आईपीओ बुधवार को सब्सक्रिप्शन के लिए खुलेगा। कंपनी 11.3 अरब डॉलर यानी लगभग 95,000 करोड़ रुपये के मूल्यांकन पर पैसे जुटाने वाली है। स्विगी आईपीओ से 11,327 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य बना रही है। इसमें 4,499 करोड़ रुपये की फ्रेश इक्विटी और 6,828 करोड़ रुपये का ऑफर फॉर सेल (OFS) शामिल होगा।
स्विगी ने आईपीओ के लिए 371 रुपये से 390 रुपये प्रति शेयर का प्राइस बैंड तय किया है। इस आईपीओ में निवेशक 6 नवंबर से 8 नवंबर तक पैसे लगा सकेंगे। शेयरों का अलॉटमेंट 11 नवंबर होगा। वहीं, एनएसई और बीएसई पर इसकी लिस्टिंग 13 नवंबर को हो सकती है।
स्विगी के आईपीओ को ग्रे मार्केट में काफी सुस्त प्रतिक्रिया मिल रही है। इसका जीएमपी फिलहाल 20 रुपये है, जो मामूली लिस्टिंग गेन का संकेत दे रहा है। ग्रे मार्केट एक अन-लिस्टेड मार्केट है। यहां पर आईपीओ की लिस्टिंग से पहले शेयरों की खरीद-बिक्री होती है। हालांकि, यहां भाव लगातार बदलते रहते हैं।
ब्रोकरेज हाउस एसबीआई सिक्योरिटीज ने स्विगी के आईपीओ को लॉन्ग टर्म के लिए सब्सक्राइब करने की सलाह दी है। उसने स्विगी के कुछ पॉजिटिव फैक्टर बताए हैं। मसलन, हाई-फ्रीक्वेंसी हाइपरलोकल कॉमर्स सेगमेंट में कंपनी लीडर्स में शामिल है। हालांकि, आदित्य बिरला कैपिटल ने स्विगी के आईपीओ से दूरी बनाने की सलाह दी है। उसने कड़ी प्रतिस्पर्धा और वैल्यूएशन घटाने जैसे नेगेटिव फैक्टर गिनाए हैं।
वैल्यूएशन के बारे में बात करते हुए स्विगी फूड मार्केटप्लेस के सीईओ रोहित कपूर ने कहा, “हमें लगता है कि हमने इसकी सही कीमत तय की है और हम अगले कुछ दिनों का इंतजार कर रहे हैं।” स्विगी का मूल्यांकन ऊपरी मूल्य बैंड पर लगभग 11.3 बिलियन डॉलर (लगभग 95,000 करोड़ रुपये) आंका गया है। जुलाई 2021 में लिस्ट हुई प्रतिद्वंद्वी जोमैटो का बाजार मूल्यांकन 2.13 लाख करोड़ रुपये है।
स्विगी के मूल्यांकन में कटौती के बारे में मीडिया रिपोर्टों के बारे में पूछे जाने पर कपूर ने स्पष्ट किया कि मूल्यांकन में कोई कमी नहीं की गई है। उन्होंने पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि कंपनी का वास्तविक मूल्य तब निर्धारित होता है जब वास्तव में लेनदेन होता है। कपूर ने कहा, “यह सब मीडिया में मूल्य के बारे में अटकलें हैं। इसलिए मामले का तथ्य यह है कि मूल्य में न तो वृद्धि हुई है और न ही कमी आई है। मूल्य ठीक वहीं है, जहां इसे होना चाहिए।’