विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली के चलते भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट आई है। एफआईआई ने सिर्फ अक्टूबर में ही 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है। हालांकि फिर भी भारतीय बाजार में वैसा हाहाकार नहीं मचा जैसा कि पहली विदेशी निवेशकों की बिकवाली के बाद मचता था। आइए जानते हैं कि विदेशी निवेशकों की बिकवाली का भारतीय बाजार पर सीमित असर क्यों दिख रहा है।
- सेंसेक्स अपने टॉप लेवल से 8 फीसदी तक फिसल गया है।
- घरेलू निवेशक नहीं होते तो बाजार में और होती गिरावट।
- अक्टूबर में DII का सबसे अधिक एक लाख करोड़ का निवेश।
एक समय था, जब विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) के बाजार से जरा सा मुंह फेर लेने से सेंसेक्स हलकान हो जाता था और बाजार में त्राहि-त्राहि मच जाती थी। कोरोना महामारी के बाद मैन्युफैक्चरिंग की तरह बाजार भी धीरे-धीरे आत्मनिर्भर बनता जा रहा है। घरेलू संस्थागत निवेशकों का बाजार के प्रति रुझान लगातार बढ़ रहा है और उनके दम से बाजार की निर्भरता एफआईआई पर से कम हो रही है।
अक्टूबर माह में ही एफआईआई ने भारतीय बाजार से एक लाख करोड़ से अधिक निकाल लिए, लेकिन बाजार फिर भी उस प्रकार के औंधे मुंह नहीं गिरा, जैसा कि पहले गिरता था। क्योंकि गत अक्टूबर माह में घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) ने घरेलू बाजार में अब तक का सबसे अधिक एक लाख करोड़ रुपए का मासिक निवेश किया।