मासिक कालाष्टमी का दिन बेहद विशेष माना जाता है। यह दिन भगवान काल भैरव की पूजा के लिए सबसे शुभ दिनों में से एक है, जो भगवान शंकर का उग्र रूप हैं। हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार पौष माह में यह तिथि 22 दिसंबर 2024 यानी आज मनाई जा रही है। कहते हैं कि इस दिन व्रत करने से जीवन के सभी दुखों और पापों से छुटकारा मिलता है, तो इसकी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त जानते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, मासिक कालाष्टमी पर त्रिपुष्कर योग सुबह 07 बजकर 10 मिनट से दोपहर 02 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहेगा। वहीं, विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से 02 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। फिर गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 27 मिनट से 05 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा निशिता मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 53 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। माना जाता है कि ये सभी मुहूर्त पूजा और किसी भी प्रकार के नए कार्य के लिए शुभ माने जाते हैं।
सुबह जल्दी उठें और स्नान करें। इसके बाद साफ कपड़े पहनें। पूजा घर की साफ-सफाई करें। एक चौकी पर भैरव बाबा की प्रतिमा स्थापित करें। फिर पंचामृत और गंगाजल से उनका अभिषेक करें। इसके बाद उनकी प्रतिमा को साफ वस्त्र से पोंछे। उन्हें इत्र लगाएं और फूल, माला आदि चीजें अर्पित करें। चंदन का तिलक लगाएं। फल, मिठाई और घर पर बनी मिठाई का भोग लगाएं। फिर भगवान काल भैरव के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं और काल भैरव अष्टक का पाठ करें। आरती से पूजा का समापन करें। अंत में पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा प्रार्थना करें, जो लोग व्रत कर रहे हों वे प्रसाद व सात्विक भोजन से अपना व्रत खोलें। इसके साथ ही कुछ दान-दक्षिणा जरूर करें।
- ॐ काल भैरवाय नमः।।
- ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नमः।।