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Wednesday, February 12, 2025

बच्चों की ये 7 आदतें बढ़ाती हैं डायबिटीज का रिस्क, बचपन में ही कर लिया सुधार, तो ताउम्र रहेंगे हेल्दी

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आज के समय में डायबिटीज एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन गई है। यह न केवल वयस्कों को प्रभावित कर रही है, बल्कि बच्चों में भी तेजी से बढ़ रही है। डायबिटीज के दो प्रकार हैं- टाइप 1 और टाइप 2। टाइप 1 डायबिटीज आमतौर पर जेनेटिक कारणों से होता है, लेकिन टाइप 2 डायबिटीज लाइफस्टाइल और खान-पान की गलत आदतों के कारण हो सकता है। यहां हम उन 7 आदतों के बारे में बात करेंगे, जो बच्चों में डायबिटीज का कारण बन सकती हैं।

अनहेल्दी डाइट

बच्चों में डायबिटीज का एक अहम कारण खराब डाइट है। आजकल बच्चे जंक फूड, फास्ट फूड, चिप्स, कोल्ड ड्रिंक्स और मीठे स्नैक्स ज्यादा खाते हैं। इन फूड्स में शुगर, नमक और अनहेल्दी फैट्स की मात्रा ज्यादा होती है, जो शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ाते हैं और डायबिटीज का कारण बन सकते हैं।

फिजिकल एक्टिविटी की कमी

मॉडर्न लाइफस्टाइल में बच्चे ज्यादा समय टीवी, मोबाइल और वीडियो गेम्स के साथ बिताते हैं। इससे उनकी फिजिकल एक्टिविटी कम हो जाती है। फिजिकल एक्टिविटी की कमी से मोटापा बढ़ता है, जो टाइप-2 डायबिटीज के लिए एक अहम रिस्क फैक्टर है।

मोटापा

मोटापा बच्चों में डायबिटीज का एक अहम कारण है। ज्यादा कैलोरी वाली डाइट और फिजिकल एक्टिविटी की कमी से बच्चों का वजन बढ़ता है। मोटापा शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ाता है, जिससे ब्लड शुगर बढ़ सकता है।

ज्यादा मीठा खाना

बच्चों को मीठा खाना बहुत पसंद होता है, लेकिन ज्यादा चॉकलेट, कैंडी, मिठाई और शुगर से भरे हुए ड्रिंक्स पीने से उनके शरीर में शुगर लेवल बढ़ सकता है। यह आदत बच्चों में डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकती है।

पूरी नींद न लेना

नींद की कमी भी बच्चों में डायबिटीज का कारण बन सकती है। पूरी नींद न लेने से शरीर का मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है और इंसुलिन सेंसिटिविटी कम हो जाती है। इससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है।

स्ट्रेस

आजकल बच्चे भी पढ़ाई, एग्जाम और सोशल दबाव के कारण तनाव का सामना करते हैं। तनाव के कारण शरीर में कॉर्टिसोल हार्मोन का लेवल बढ़ता है, जो ब्लड शुगर को प्रभावित कर सकता है। लंबे समय तक तनाव में रहने से डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है।

परिवारिक इतिहास

अगर परिवार में किसी को डायबिटीज है, तो बच्चों में इसके होने की खतरा ज्यादा होता है। हालांकि, यह एक जेनेटिक फैक्टर है, लेकिन गलत आदतें और अनहेल्दी लाइफस्टाइल इस जोखिम को और बढ़ा सकते हैं।

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