वास्तु शास्त्र, हिंदू धर्म के सबसे पुराने विज्ञानों में से एक है, जिसे लेकर यह मान्यता चली आ रही है कि माना जाता है कि इसके नियमों की रचना स्वयं ब्रह्मा जी ने की थी। ऐसे में यदि आप अपने घर और कार्यक्षेत्र में वास्तु नियमों का ध्यान रखते हैं, तो इससे आपके जीवन में काफी लाभ देखने को मिलता है।
वास्तु शास्त्र में दिशाओं का बहुत ही महत्व माना गया है। साथ ही वास्तु में उत्तर पूर्व-दिशा (ईशान कोण) सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश द्वार मानी जाती है। ऐसे में व्यक्ति को इस दिशा में साफ-सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। ऐसा करने से घर में पॉजिटिव एनर्जी का प्रवाह बढ़ता है और सुख-शांति का माहौल बना रहता है।
यदि घर में नकारात्मक ऊर्जा व्याप्त हो जाए, तो व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में नेगेटिव एनर्जी से छुटकारा पाने के लिए आप वास्तु शास्त्र में बताया गया नमक से जुड़ा ये उपाय कर सकते हैं। इसके लिए पानी में थोड़ा-सा नमक मिलाकर उससे पोछा लगाएं। ऐसा करने से नकारात्मकता दूर होती है और पॉजिटिव एनर्जी का फ्लो बढ़ता है।
वास्तु शास्त्र में घर के मेन गेट को एक मुख्य स्थान माना जाता है, क्योंकि यहीं से नकारात्मक और सकारात्मक ऊर्जा का भी प्रवेश होता है। ऐसे में अपने मुख्य द्वार पर नेम प्लेट और विंड चाइम लगानी चाहिए। इसी के साथ आप मेन गेट पर तुलसी और मनी प्लांट जैसे पौधे भी रख सकते हैं। इस बात का भी खास ख्याल रखें कि आपका मुख्य द्वार हमेशा साफ-सुथरा होना चाहिए।
वास्तु शास्त्र में घर में पानी का व्यर्थ में रिसाव या टपकना बिल्कुल भी सही नहीं माना गया। ऐसा होने पर व्यक्ति को आर्थिक नुकसान का भी सामना करना पड़ सकता है। इसलिए जितनी जल्दी हो सके, इसे जल्दी ठीक करवा लेना चाहिए। इसी के साथ वास्तु के अनुसार घर में कांटेदार पौधों भी नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करने पर घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है।