2 साल की उम्र तक बच्चे के दूध के निकलते हैं. ऐसे में उन्हें बहुत ज्यादा तकलीफ का सामना करना पड़ता है. लूजमोशन होते हैं. बच्चे कुछ खाता-पीता नहीं हैं. कमजोर पड़ जाते हैं. शारीरिक रूप से कमजोर होने के साथ-साथ इस दौरान वह अधिक चिड़चिड़े और आक्रमक भी हो जाते हैं. यदि वह कमजोर है तो उसे अधिक समस्याएं होती हैं. ऐसे मौके पर पैरेंटस भी बच्चे का दर्द महसूस करते हैं. दांत टुटना एक नेचुरल प्रोसेस है, ऐसे में डॉक्टरी सलाह लें साथ ही घरेलु नुस्खें भी आजमाएं. डॉक्टर आम तौर पर विटामिन और कैल्शियम की दवा देते हैं. मगर, बतौर पैरेंट आप बच्चे का दर्द कम कर सकते हैं.
1-इस दौरान हल्के हाथों से की गई मालिश बच्चे को आराम देती है. मालिश करते समय पैर व सिर को हल्के हाथ से रगड़ें ताकि बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन अच्छे से हो.इससे उसे अच्छे से नींद आएगी.
2-दांत आने पर बच्चे को अधिक पानी पिलाना चाहिए. मां के दूध के अलावा भी उसे दूसरे लीक्विड देने चाहिए. मां का दूध निकालकर उसे फ्रिज में रखें. थोडा ठंडा दूध पीने से भी उसे आराम मिलता है. आपने अक्सर देखा होगा कि दांत की सर्जरी के बाद डॉक्टर आईसक्रीम खाने कहते हैं, ताकि आराम मिले.
3-शहद में एंटीबैक्टीकरियल और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं. यह घाव को भरने और चोट से जल्दी आराम दिलाने में मददगार होती है. इससे बच्चे को राहत मिलती है. सूजन में कमी आती है.
4-दांत निकलने पर बुखार आती है. दस्त होते हैं. पसीना आता है. ऐसे में बच्चों को केला खिलाना चाहिए. साथ ही ताजे फल जैसे संतरे, तरबूज, अनानास, कीवी का रस दे सकते हैं, क्योंकि इनमें विटामिन-सी और एंटी-ऑक्सीडेंट तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं.