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Monday, February 3, 2025

भगवान विष्णु ने क्यों लिया था वामन अवतार? जानें विस्तार से

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नई दिल्ली: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा से जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त होती है। भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से पांचवां अवतार ‘वामन’ था। मगर क्या आप जानते हैं कि भगवान विष्णु ने वामन अवतार क्यों लिया था? अगर नहीं, तो जानिए इस अवतार से जुड़ी दिलचस्प और महत्वपूर्ण कथा।

पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग में जगत के पालनहार कहे जाने वाले भगवान विष्णु ने पांचवा अवतार वामन का लिया था। भगवान वामन ऋषि कश्यप और अदिति की संतान थी। एक बार सतयुग में राजा बलि का प्रकोप अधिक बढ़ रहा था और उन्होंने इंद्र का देवलोक को अपने कब्जे में कर लिया था। ऐसे में श्रीहरि ने इंद्र को देवलोक पर अधिकार और राजा बलि के घमंड को खत्म करने के लिए वामन अवतार लिया।

इसके बाद भगवान वामन ने ब्राह्मण का रूप धारण कर विरोचन के पुत्र तथा प्रहलाद के पौत्र बली के पास गए। भगवान वामन ने राजा बलि से 3 पग भूमि की मांग की। वहीं, गुरु शुक्राचार्य ने राजा बलि को 3 पग भूमि देने के लिए मना किया। लेकिन राजा बलि ने गुरु शुक्राचार्य की बात का पालन न कर भगवान वामन को 3 पग भूमि देने का वचन दिया।

इसके बाद भगवान वामन ने विशाल रूप धारण किया और पहले पग में पूरी पृथ्वी और दूसरे में देवलोक नाप लिया। वहीं, तीसरे में पग के लिए उनके पास कोई भी भूमि नहीं बची, तो ऐसे में राजा बलि ने तीसरे पग के लिए भगवान वामन के सामने अपना सिर कर दिया।

राजा बलि के इस काम को देख भगवान वामन बेहद प्रसन्न हुए और उन्होंने बलि को पाताल लोक देने के बारे में फैसला लिया। इस प्रकार से भगवान वामन ने देवी-देवताओं को देवलोक वापस दिलाया और बलि के डर से छुटकारा दिलाया।

इसके अलावा 3 पग भूमि मांगने की एक वजह यह भी थी कि राजा बलि अश्वमेध यज्ञ कर रहे थे और यज्ञ के समापन होने के बाद उसका इंद्र के सिंहासन पर कब्जा हो जाता। इसी वजह से भगवान वामन ने 3 पग भूमि मांगी.

 

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