एक हालिया पर्यावरण-विज्ञान रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि वर्ष 2023 से 2025 के बीच दुनिया भर में कोरल रीफ्स (Coral Reefs) के सफेद बनने की प्रक्रिया यानी “Bleaching Event” अब तक की सबसे व्यापक और गंभीर घटना बन चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि में समुद्री तापमान में असामान्य वृद्धि और जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया के 60% से अधिक कोरल रीफ्स प्रभावित हुए हैं।
समुद्री तापमान में तेज़ वृद्धि
रिपोर्ट में बताया गया है कि बीते तीन वर्षों में समुद्री सतह का तापमान औसतन 1.5°C तक बढ़ा है। यह वृद्धि एल नीनो (El Niño) और लगातार बढ़ते ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की वजह से हुई है। प्रशांत महासागर, हिंद महासागर और कैरिबियन क्षेत्र सबसे ज़्यादा प्रभावित रहे। कई क्षेत्रों में कोरल रीफ्स की लगभग 70% से 90% आबादी पूरी तरह सफेद हो गई। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव समुद्री पारिस्थितिकी (Marine Ecosystem) के लिए एक गंभीर खतरा है।
कोरल रीफ्स के “सफेद बनने” का मतलब क्या है?
कोरल रीफ्स तब “सफेद (Bleached)” हो जाते हैं जब समुद्री पानी का तापमान लगातार बढ़ने से वे अपने अंदर मौजूद एल्गी (zooxanthellae) को खो देते हैं, जो उन्हें रंग और ऊर्जा प्रदान करती हैं। जब ये एल्गी मर जाती हैं, तो कोरल का रंग सफेद पड़ जाता है और वे धीरे-धीरे मृत हो जाते हैं। यह प्रक्रिया समुद्री जीवों के लिए आवास संकट पैदा करती है क्योंकि कोरल रीफ्स को समुद्र की “जीवविविधता की रीढ़ (Backbone of Marine Life)” कहा जाता है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
कोरल सफेद बनने की घटनाएं अब पहले से तीन गुना तेज़ी से बढ़ रही हैं। ऑस्ट्रेलिया का ग्रेट बैरियर रीफ, इंडोनेशिया, मालदीव और हवाई जैसे क्षेत्रों में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ।वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अगर वैश्विक तापमान 2°C तक पहुँच गया, तो 90% से अधिक कोरल रीफ्स स्थायी रूप से नष्ट हो सकते हैं।