वाराणसी। ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने को लेकर 1991 में दाखिल मुकदमे की सुनवाई मंगलवार को सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) युगुल शंभू की अदालत में हुई।
स्वयंभू विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग की ओर से स्व. पं. सोमनाथ व्यास, डा. रामरंग शर्मा व पं. हरिहर नाथ पांडेय द्वारा दाखिल मुकदमे के वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी की ओर से ज्ञानवापी में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) से अतिरिक्त सर्वे कराने के प्रार्थना पत्र पर प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद ने अपना पक्ष रखा।
उसकी ओर से कहा गया कि एएसआई ने सर्वे के दौरान ज्ञानवापी में खोदाई की जरूरत नहीं समझी, इसलिए इस संबंध में कोर्ट में कोई प्रार्थना पत्र भी नहीं दिया था। मामले में प्रतिवादी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड पहले ही अदालत में अपना पक्ष रख चुका है। दोनों प्रतिवादियों की ओर से उठाए गए बिंदुओं का जवाब देने के लिए वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने अदालत से अवसर मांगा।