इन दिनों वायु प्रदूषण की वजह से सेहत से जुड़ी कई समस्याएं लोगों को अपना शिकार बना रही हैं। दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई हिस्सों में हवा का स्तर लगातार खराब होता जा रहा है, जिसकी वजह से सर्दी-खांसी समेत कई समस्याओं के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। खासकर खांसी मामलों में इन दिनों तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।
इसलिए हमने बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में चेस्ट एंड रेस्पिरेटरी डिजीज के प्रिंसिपल डायरेक्टर और एचओडी डॉ. संदीप नायर से जाना कि कैसे नियमित खांसी और प्रदूषण के कारण होने वाली खांसी में अंतर कर सकते हैं। साथ ही यह जाना कि इसके लक्षण, कारण और बचाव के तरीके क्यो हो सकते हैं।
डॉक्टर बताते हैं कि नियमित खांसी आमतौर पर लगभग 4 से 5 दिनों तक रहती है और ज्यादातर इलाज करने पर ठीक हो जाती है। यह किसी संक्रमण या किसी एलर्जी के अचानक संपर्क में आने के कारण हो सकती है, जो दवा लेने पर कम हो सकती है। वहीं, पुरानी खांसी वह खांसी है, जो वयस्कों में आठ हफ्ते से ज्यादा समय तक रहती है। हालांकि, बच्चों में चार हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक रहने वाली खांसी को पुरानी खांसी कहा जाता है। पुरानी खांसी पर आमतौर पर सामान्य दवा का असर नहीं करती है और कभी-कभी यह परेशानी की वजह भी बन सकती है। इसके सबसे आम कारणों में प्रदूषण या तंबाकू का इस्तेमाल और अस्थमा हैं।
कभी-कभी कुछ दवाएं भी खांसी का कारण बन सकती हैं और यह सूखी खांसी दवा बंद करने से ही ठीक हो जाती है। हालांकि, कुछ गंभीर कारणों में गले या फेफड़ों का कैंसर शामिल है, जिसमें खांसी बहुत परेशान करने वाली हो जाती है। यहां तक कि इसकी वजह से बलगम में खून भी आ सकता है। संक्रमण के कारण होने वाली खांसी में ज्यादातर पीला या हरा रंग बलगम नजर आता है, जिससे पता चलता है कि व्यक्ति संभवतः बैक्टीरियल इन्फेक्शन से पीड़ित है। ऐसे में खांसी से छुटकारा पाना जरूरी है कि क्योंकि यह न सिर्फ परेशानी की वजह बन सकती है, बल्कि सिरदर्द, सीने में दर्द या यहां तक कि पसलियों के फ्रैक्चर जैसी गंभीर स्थितियों का कारण भी बन सकती है।