बच्चे के जन्म लेते ही यह पेंरेट्स की जिम्मेदारी है, फर्ज है कि वे अपने बच्चे से जुड़ी हर एक छोटी-बड़ी बातों का ध्यान रखें. ताकि समय के साथ बच्चे का संपूर्ण विकास हो. जैसे- बच्चा ठीक से दूध पी रहा है या नहीं. आवाज देने पर आपकी ओर देख रहा है कि नहीं. उसका विकास सामान्य तरीके से हो रहा है कि नहीं. ये सबकुछ पेरेंट्स को ही नोटिस करना होगा. अगर, आप कुछ भी आसामान्य देख रहे हैं तो तत्काल बड़े बुजुर्गों से चर्चा करें और डॉक्टर को दिखाएं. ताकि सही समय पर, समस्या पकड़ में आ सके. बच्चों से जुड़ी कुछ समस्याओं में एक है, ‘राइट साइड हेमिपरेसिस’. राइट साइड हेमिपरेसिस क्या है? इसे जानना बेहद जरूरी है. आज हम आपको इसी समस्या के बारे में विस्तार से बताएंगे.
राइट साइड हेमिपरेसिस एक ऐसी स्थिति है जो शरीर के सीधे हिस्से की हरकत और ताकत को प्रभावित करती है. हेमिपरेसिस का मतलब एक तरफ की कमजोरी है. इससे हाथ, पैर और चेहरा प्रभावित होता है.
सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि समस्या शरीर के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) में कहां है. यह मस्तिष्क की चोटों, स्ट्रोक या जन्मजात स्थितियों के कारण हो सकता है. कुछ प्रकरणों में यह भी सामने आया है कि राइट साइड हेमिपरेसिस हार्ट संबंधी समस्याओं और शरीर में खून के थक्कों के कारण भी हो सकता है. एक मामले में दिल में छेद भी देखा गया है.
दाएं हाथ या पैर को हिलाने में कठिनाई हो, समन्वय और संतुलन में परेशानी, मोटर कौशल विकास में देरी, सोचने और समझने में परेशानी.
अगर कोई बच्चा राइट साइड हेमिपरेसिस से ग्रसित है तो इसके चलते उसे चलने, फिरने और चीजों को उठाने में परेशानी होगी. शारीरिक चिकित्सा में इसका इलाज है. वहीं अगर, बच्चे को बोलने में समस्या है तो स्पीच थेरेपी के जरिए इसे काफी हद तक ठीक किया जा सकता है.