वास्तु जानकारों की मानें तो भूमि खरीदते समय एक मुठ्ठी धूल को हवा में फेंके या लहराएं। अब ध्यान दें कि मिट्टी हवा के माध्यम से ऊपर जाती है या नीचे आती है। ऊपर की ओर जाने का तात्पर्य है कि भूमि पर गृह निर्माण करने से गृह के स्वामी की आय और सौभाग्य में वृद्धि होगी। वहीं भूमि पर आने से मनमुताबिक सफलता नहीं मिलेगी।
- पूर्व दिशा में सूर्य देव का वास होता है।
- उत्तर दिशा में कुबेर देव निवास करते हैं।
- दक्षिण दिशा में पितरों का निवास होता है।
सनातन धर्म में वास्तु शास्त्र का विशेष महत्व है। इस शास्त्र का उपयोग भूमि खरीदारी और गृह निर्माण में किया जाता है। इसके साथ ही गृह निर्माण के बाद भी वास्तु नियमों का पालन किया जाता है। अनदेखी करने से व्यक्ति को धन संबंधी परेशानी होती है। इसके अलावा, जीवन में नाना प्रकार की परेशानियों से गुजरना पड़ता है। इसके लिए वास्तु जानकर भूमि खरीदारी से लेकर गृह निर्माण तक वास्तु नियमों का पालन करने की सलाह देते हैं। वास्तु नियमों का पालन करने से घर में सुख, समृद्धि एवं शांति बनी रहती है। अगर आप भी गृह निर्माण के लिए भूमि या प्लॉट खरीदने की सोच रहे हैं, तो इन बातों का जरूर ध्यान रखें। इन बातों को ध्यान रखने से आप न केवल वास्तु दोष मुक्त भूमि खरीदने में सफल होंगे, बल्कि आपके आय और सौभाग्य में भी अपार वृद्धि होगी। आइए जानते हैं-
- वास्तु जानकारों की मानें तो गज पृष्ठ भूमि गृह निर्माण या निवास के लिए उत्तम माना जाता है। इस प्रकार की भूमि पर ग्रह निर्माण करने से स्वामी के आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसके साथ ही घर में भी सुख और शांति बनी रहती है। गज पृष्ठ भूमि ईशान कोण में नीचे होती है।
- कूर्म पृष्ठ भूमि भी के लिए उत्तम मानी जाती है। इस प्रकार की भूमि पर गृह निर्माण करने से घर में हमेशा उत्साह बना रहता है। घर के सदस्यों के मध्य प्यार और सौहार्द बना रहता है। घर के स्वामी की आय में समय के साथ अपार वृद्धि होती है। ज्योतिष भी कूर्म पृष्ठ भूमि में गृह निर्माण करने की सलाह देते हैं।
- पूर्व दिशा में घर का मुख्य द्वार होना चाहिए। इसके लिए भूमि खरीदते समय दिशा का अवश्य ध्यान रखें। अगर घर का मुख्य द्वार पूर्व में होता है, तो गृह में धन का अभाव नहीं होता है। साथ ही सूर्य देव की कृपा से करियर और कारोबार में मनमुताबिक सफलता मिलती है। गृह के सभी सदस्य स्वस्थ एवं सुखी रहते हैं।
- वास्तु जानकारों की मानें तो उत्तर दिशा में कुबेर देव निवास करते हैं। इस दिशा में उतार होना शुभ माना जाता है। इस दिशा में ध्रुव तारा का निवास है। इसके लिए उत्तर दिशा में पूजा गृह बनाना चाहिए। अवश्य ध्यान रखें कि गृह निर्माण के समय पूजा गृह उत्तर दिशा में बने।