आरबीआई ने अनिवासी भारतीयों की विदेशी मुद्रा जमाओं पर ब्याज दर सीमा बढ़ाने का एलान किया है। इस कदम का उद्देश्य रुपये पर दबाव के बीच पूंजी प्रवाह को बढ़ाना है। केंद्रीय बैंक ने यह कदम ऐसे समय उठाया है, जब डॉलर के मुकाबले रुपया अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया है।
शुक्रवार से बैंकों को अब एक वर्ष से लेकर तीन वर्ष से कम अवधि की एफसीएनआर (बी) जमाएं अल्पकालिक वैकल्पिक संदर्भ दर (एआरआर) जमा चार प्रतिशत दर पर जुटाने की अनुमति दे दी है, जबकि पहले यह 2.50 प्रतिशत थी।
इसी तरह, तीन से पांच वर्ष की अवधि की परिपक्वता अवधि वाली जमाओं पर एआरआर प्लस पांच प्रतिशत ब्याज दिया जा सकता है, जबकि पहले यह सीमा 3.50 प्रतिशत थी। एफसीएनआर पर यह छूट अगले वर्ष 31 मार्च तक ही उपलब्ध रहेगी।
आरबीआई ने शुक्रवार को बैंकों से कहा कि वे उसकी पहल ‘म्यूलहंटर डाट एआइ’ के साथ सहयोग करें, ताकि वित्तीय धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले म्यूल खातों (फर्जी खातों) को हटाया जा सके। म्यूल खाता एक बैंक खाता है, जिसका इस्तेमाल अपराधी अवैध तरीके से पैसा लूटने के लिए करते हैं।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि भारत के पास अपने व्यापार को ‘डी-डॉलराइज’ करने की कोई योजना नहीं है। इसका मतलब है कि भारत दूसरे साथ के साथ व्यापार में डॉलर का इस्तेमाल घटाने की दिशा में नहीं बढ़ रहा है।
आरबीआई गवर्नर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस धमकी पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे कि अगर ब्रिक्स देश डॉलर से दूर जाने का विकल्प चुनते हैं तो उन पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाया जाएगा ब्रिक्स मुद्रा के बारे में दास ने कहा कि यह समूह के सदस्यों द्वारा दिया गया एक विचार है, लेकिन इस पर कुछ चर्चाओं के अलावा कोई प्रगति नहीं हुई है।