सनातन धर्म में अमावस्या तिथि पर पितरों की पूजा-अर्चना करने का विधान है। यह तिथि पितरों के निमित्त तर्पण करने के लिए उत्तम मानी जाती है। इस बार सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण लगेगा। यदि आप सूर्य ग्रहण के प्रभाव से बचना चाहते हैं तो ग्रहण समाप्त होने के बाद विशेष चीजों का दान जरूर करें।
- धार्मिक दृष्टि से सूर्य ग्रहण एक महत्वपूर्ण घटना है।
- सूर्य ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा निकलती है।
- इस दौरान पूजा-पाठ नहीं करनी चाहिए।
सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है। इसका सनातन धर्म में विशेष महत्व है। सूर्य ग्रहण का प्रभाव लोगों की जिंदगी पर पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रहण के बारे में विस्तार से बताया गया है। जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है, तो ऐसे में सूरज की रोशनी पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती है। इस घटना को सूर्य ग्रहण के नाम से जाना जाता है। सूर्य ग्रहण के समाप्त होने के बाद स्नान आदि करने के बाद श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में दान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है।
पंचांग के अनुसार,की अमावस्या यानी 02 अक्टूबर को वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण लगने वाला है। यह ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। इसी वजह से इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा।